सोयाबीन की फसल पर तना मक्खी-इल्ली का हमला, फसलों को हो रहा नुकसान
सोयाबीन की फसल पर तना मक्खी-इल्ली का हमला, फसलों को हो रहा नुकसान
डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिले में सोयाबीन की फसल पर तना मक्खी और इल्लियों का हमला हो गया है। यह काफी तेजी से बढ़ रहा है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो इस साल भी सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।
इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते फसलें भी अच्छी दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब बड़े पैमाने पर कीट का प्रकोप सामने आने लगा है। जिले में सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से सोहागपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कठौतिया, चटहा, अमरहा, भमरहा, सिगुड़ी, करुआताल और आसपास के 25 से 30 गांवों में होती है। इस वर्ष जिले में 9 से 10 हजार हेक्टेयर में किसानों ने सोयाबीन की फसल लगाई थी। अभी फसलों में फली आनी शुरू हुई है, लेकिन इल्लियों के प्रकोप से पत्तियां तो खराब हो ही रही हैं, फल्लियों में भी कीड़े लग गए हैं। दूसरी ओर कुछ गांवों में तना मक्खी का प्रकोप भी सामने आया है। यह पूरी फसल को सुखा दे रही है। खड़ी फसल पर कीटों के हमलों ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
पत्ते पड़ रहे हैं पीले, सूख भी रहे
गांव सिगुड़ी के राजीव सिंह, जीतेंद्र सिंह, उग्रभान सिंह, ध्यानेंद्र सिंह, सुरेश सिंह, कमलभान सिंह आदि किसानों का कहना है कि शुरू में सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ रहे हैं। इसके बाद पौधे सूखने लग रहे हैं। यह तेजी से फैल रहा है और इस तरह से काफी नुकसान हो रहा है। करुआताल के किसानों का कहना है कि कीटों के हमले की जानकारी उन्होंने स्थानीय पटवारी को दे दी है। उनका कहना है कि रोग की समझ नहीं होने के कारण वह दवा का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं।
पौधे को सुखा देती है तना मक्खी
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी ने बताया कि जुगवारी के किसान उनके पास आए थे। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की फसल में तना मक्खी का प्रकोप देखा जा रहा है। त्रिपाठी ने बताया कि तना मक्खी सोयाबीन के पौधे के तने के अंदर अंडा रखती है। 5 से 7 दिन में यह इल्ली में बदल जाती है। यह इल्ली पौधे के तने को खाने लगती है और उसकी ग्रोथ रुक जाती है। इसके बाद पौधा पीला पडऩे लगता है और उसके पत्ते भी पीले उन्होंने बताया कि तना मक्की की सबसे ज्यादा दिक्कत जेएस-9560 वैरायटी में हो रही है।
चौथी स्टेज में पहुंची समस्या
बताया जाता है कि फसलों में इल्लियों के प्रकोप के चार स्टेज होते हैं। पहले और दूसरे स्टेज में सबसे ज्यादा नुकसान होता है। चौथे स्टेज की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि इल्लियों पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
दो साल से हो रहा नुकसान
क्षेत्र में सोयाबीन की फसल को पिछले दो साल से नुकसान हो रहा है। पिछले साल फसल जब पूरी तरह से तैयार हो गई थी कम बारिश होने के कारण फफूंद की बीमारी हो गई है थी, जिसे वैज्ञानिक भाषा में चारकोल राट कहते हैं। इस बीमारी ने पूरी फसल चौपट कर दी थी। वहीं 2016 में बेमौसम हुई बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया था। दो साल से सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हो चुका है। इस साल उन्हें अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन कीटों के प्रकोप ने उनके सामने समस्या खड़ी कर दी है।
इनका कहना है
सोयाबीन की फसल में इल्लियां के प्रकोप का पता चला है। कल ही गांवों में जाकर स्थिति को देखा जाएगा और किसानों को जरूरी सलाह दी जाएगी। जरूरत पड़ी तो गांवों में कैंप भी लगाए जाएंगे।
-मृृगेंद्र सिंह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र शहडोल