जेल में सजा काट रहीं सरला बनीं डायटीशियन, अब अन्य महिला बंदियों को करेंगी ट्रेंड

जेल में सजा काट रहीं सरला बनीं डायटीशियन, अब अन्य महिला बंदियों को करेंगी ट्रेंड

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-03 17:14 GMT
जेल में सजा काट रहीं सरला बनीं डायटीशियन, अब अन्य महिला बंदियों को करेंगी ट्रेंड

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल में सजा काट रहीं सरला सिंह अब जेल में रह कर ही अन्य महिला बंदियों के लिए डायटीशियन का काम करेंगी। इसके लिए उन्होंने बकायदा डायटीशियन का कोर्स किया है। उन्होंने जेल में रहते हुए ही पढ़ाई पूरी की और अब डायटीशियन का कोर्स पूरा करने पर डिग्री हासिल कर ली है।
60 स्टूडेंट्स को मिली डिग्री और डिप्लोमा-
बुधवार को इंदिरा गांधी मुक्त विवि का 32वाँ दीक्षांत समारोह जेल के सभागृह में आयोजित हुआ। इग्नू के लिए यह पहला मौका था जब दीक्षांत समारोह जेल में हुआ। दीक्षांत में 60 स्टूडेंट्स को डिग्री-डिप्लोमा प्रदान किए गए, वहीं 5 ऐसे कैदी शिक्षार्थी रहे जिन्होंने जेल में सजा काटते हुए पढ़ाई की और उपाधि हासिल की।समारोह में स्नातक उपाधि के अंतर्गत श्रीनाथ गुप्ता ने एमबीए, वहीं सर्टिफिकेट कोर्स के अंतर्गत सुभाष श्रीवास्तव बीए, प्रभात शुक्ला बीए, जगत सिंह ठाकुर बीए और महिला बंदी श्रीमती सरला ने फूड एंड न्यूट्रीशन की उपाधि प्राप्त की।  हमने उनसे बात की और यह जाना कि उन्हें जेल में रहते हुए पढ़ाई की प्रेरणा कैसे मिली।
शाम को अटैंड कीं क्लासेस-
मैं 14 वर्ष की सजा काट रही हूँ। यहाँ रहते हुए पढ़ाई करने का मौका मिला बहुत अच्छा लगा। मैंने फूड एंड न्यूट्रिशन का सर्टिफिकेट कोर्स किया। दिन भर दिए गए काम पूरे करने के बाद मैं शाम 5 बजे के बाद पढ़ाई करती थी। यहाँ टीचर्स आते थे पढ़ाने के लिए। यह कोर्स करने के बाद अब मैं अन्य महिला कैदियों की डाइट और हैल्थ का ध्यान रख सकती हूँ।
-सरला सिंह, बंदी शिक्षार्थी
मैनेजमेंट की पढ़ाई की-
सन् 1999 से 2013 तक मैंने जेल में सजा काटी। इस दौरान पढ़ाई करने का मौका मिला तो प्रवेश लिया। मैंने डिप्लोमा इन मैनेजमेंट की पढ़ाई की। कोर्स के लिए जरूरी क्लासेस यहाँ अटैंड कीं। मैं बीकॉम ग्रेजुएट हूँ। मैं यह मानता हूँ कि शिक्षा का जीवन में सकारात्मक असर होता है। सजा पूरी होने के बाद मैं अपना व्यवयाय करूँगा।
-श्रीनाथ गुप्ता, बंदी शिक्षार्थी
दूसरे कैदियों से प्रेरणा मिली-

मैं पिछले 12 वर्षों से यहाँ सजा काट रहा हूँ। मेरी सजा आजीवन कारावास की है। जिंदगी में जो घटा उसे पीछे छोड़, आगे निकलना ही अच्छा होता है। यहाँ रहते हुए पढ़ाई करने का मौका मिला। दूसरे कैदी जो पढ़ रहे थे उनसे प्रेरणा मिली। मैंने बैचलर ऑफ आर्ट्स की उपाधि हासिल की है। आज यहाँ दीक्षांत में डिग्री मिली, बहुत खुश हूँ।
-कमल सिंह, बंदी शिक्षार्थी

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