4 साल में बढ़ी किसान आत्महत्या की घटनाएं, 18 साल में 737 किसानों ने की आत्महत्या

4 साल में बढ़ी किसान आत्महत्या की घटनाएं, 18 साल में 737 किसानों ने की आत्महत्या

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-26 06:34 GMT
4 साल में बढ़ी किसान आत्महत्या की घटनाएं, 18 साल में 737 किसानों ने की आत्महत्या

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आत्महत्या के मामले में सरकार की उपाय योजनाओं के दावे को चुनौती देती रिपोर्ट सामने आई है। आत्महत्या का दौर थम नहीं रहा है। हद तो यह है कि बीते 4 वर्ष में नागपुर विभाग में किसान आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। उसमें भी नागपुर जिले में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। विभाग ही नहीं, राज्य में सबसे पिछड़ा कहलाने वाला गड़चिरोली जिला आंकड़ों के लिहाज से राहत पा रहा है। गड़चिरोली जिले में किसान आत्महत्या के सबसे कम प्रकरण दर्ज किए गए हैं। खास बात यह है कि गड़चिरोली में किसान आत्महत्या के जो प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उनमें से करीब 80 प्रतिशत प्रकरण अपात्र ठहराए गए हैं। सूचना अधिकार के तहत सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर को विभागीय आयुक्त कार्यालय से दी गई जानकारी में जो तथ्य सामने आया है, वह काफी चौंकानेवाला है। 2001 से लेकर 2018 तक किसान आत्महत्या के प्रकरण सालाना बढ़ते जा रहे हैं।

4007 किसान आत्महत्या, 20.45 करोड़ की राहत
विभागीय आयुक्त कार्यालय के अनुसार, 2001 से 2018 तक नागपुर विभाग में किसान आत्महत्या के 4007 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें 1935 प्रकरण अपात्र ठहराए गए हैं। 27 प्रकरण लंबे समय से लंबित हैं। आत्महत्या प्रभावित किसान परिवार को 20.45 करोड़ रुपए की सहायता सरकार ने दी है। नागपुर विभाग में 6 जिले नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, गड़चिरोली, भंडारा व गोंदिया शामिल हैं। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो नागपुर के बाद सर्वाधिक किसान आत्महत्या चंद्रपुर जिले में हुई है। 

किसान आत्महत्या के मामले को लेकर 2014 के चुनाव में राज्य में सत्ता में बदलाव का आह्वान किया गया था। कांग्रेस व राकांपा के नेतृत्व की सरकार लगातार 10 वर्ष तक इस मसले को लेकर विपक्ष के निशाने पर थी। सत्ता बदलने के बाद भी स्थिति नहीं बदली है। सरकार के आंकड़ों को ही देखें तो 2014 के बाद हर जिले में किसान आत्महत्या के प्रकरण बढ़े हैं। नागपुर जिले में सर्वाधिक 737 किसान आत्महत्या के प्रकरण दर्ज किए गए हैं। गड़चिरोली जिले में 77 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। गड़चिरोली में 18 प्रकरण ही पात्र ठहराए गए हैं। नागपुर विभाग में नागपुर जिले में कपास, संतरा, धान व कुछ क्षेत्र में सोयाबीन की फसल होती है। वर्धा की भी लगभग ऐसी ही स्थिति है। चंद्रपुर में कपास व सोयाबीन की फसल होती है। गोंदिया, भंडारा व गडचिरोली जिला धान उत्पादक जिला कहलाता है। 

सरकार को संवेदना दिखाना होगा
सरकार का ग्रामीण क्षेत्र की ओर ध्यान ही नहीं है। गुजरात में कुछ शहरों को राज्य विकास का आदर्श दर्शाया जाता है। वैसा ही दावा महाराष्ट्र में किया जा रहा है। शहर की सड़क सुधारने मात्र को राज्य का विकास नहीं कहा जा सकता है। मौदा तहसील के बार्सी गांव में 3 किसान आत्महत्या के प्रकरण में कोई राहत नहीं दी। अभी अभी एमपीएससी की तैयारी कर रही युवती के किसान पिता ने आत्महत्या कर ली। सरकार को संवेदना दिखाना होगा। - अमोल देशमुख, कांग्रेस नेता

इनका कहना है
कहीं खाद-बीज विक्रेताओं ने लूट मचा रखी है तो कहीं सरकारी सेवा पहुंचानेवाले हाथ ही भ्रष्ट हैं। योजनाओं पर अमल होता तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। राज्य में कृषिमंत्री ही नहीं है।  - किशोर तिवारी, अध्यक्ष शेतकरी स्वालंबन मिशन महाराष्ट्र

किसानों को बिजली पानी से वंचित रखा जा रहा है और यहां शहर में पानी का उपयोग वाहन धोने के लिए किया जाता है। किसानाें को आंदोलन के बाद भी राहत नहीं।  -प्रशांत पवार, संयोजक, जय जवान जय किसान संगठन

जिले में किसानों को राहत देने के मामले में सरकार दोयम दर्जे का व्यवहार करती रही है। फसल नुकसान का सर्वे ही सही तरीके से नहीं किया जाता है।   -सलिल देशमुख, राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस नेता

सरकार का ग्रामीण क्षेत्र की ओर ध्यान ही नहीं है। गुजरात में कुछ शहरों को राज्य विकास का आदर्श दर्शाया जाता है। वैसा ही दावा महाराष्ट्र में किया जा रहा है। शहर की सड़क सुधारने मात्र को राज्य का विकास नहीं कहा जा सकता है। - अमोल देशमुख, कांग्रेस नेता
 

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