काटोल विधानसभा चुनाव : सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव आयोग को झटका

काटोल विधानसभा चुनाव : सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव आयोग को झटका

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-02 05:35 GMT
काटोल विधानसभा चुनाव : सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव आयोग को झटका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काटोल विधानसभा  क्षेत्र में 11 अप्रैल के चुनाव का विरोध करती याचिका पर  सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। चुनाव आयोग द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर कोई भी राहत देने से सर्वोच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया, आखिर में आयोग को अपनी यह याचिका वापस लेनी पड़ी। इसके कारण नागपुर खंडपीठ में संदीप सरोदे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है।  बीती 19 मार्च को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर चुनावों पर अंतरिम स्थगन लगा कर चुनाव आयोग से दो सप्ताह में जवाब मांगा था। चुनाव आयोग ने नागपुर खंडपीठ में अपना जवाब प्रस्तुत किया है। चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध किया है। कहा है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में सीट खाली होने पर एक अवधि के बीच वहां चुनाव कराना जरूरी होता है। लोकतंत्र हमारे संविधान का मूलभूत आधार है। यहां चुनाव ना कराने से क्षेत्र की जनता का विधानसभा में प्रतिनिधित्व शेष नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में यहां चुनाव कराने ही चाहिए। मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता सरोदे की ओर से एड.श्रीरंग भंडारकर, एड. निधि दयानी, केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से एड.नीरजा चौबे और राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड.जेमिनी कासट कामकाज देख रहे हैं। 

11 अप्रैल को थे चुनाव
देश के निर्वाचन आयोग द्वारा जिले के काटोल विधानसभा सीट पर 11 अप्रैल को विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव घोषित किए गए हैं। यहां के विधायक आशीष देशमुख के इस्तीफा देने के बाद से यह सीट खाली है। याचिकाकर्ता ने विधानसभा चुनावों को  चुनौती दी है। 

तर्क है कि अभी चुनाव लेने से मनुष्यबल, संसाधनों के अलावा अनावश्यक खर्च होगा, क्योंकि 6 माह में ही काटोल समेत प्रदेश भर में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य सरकार पहले ही काटोल को सुखा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर चुकी है। ऐसे में 11 अप्रैल के विधानसभा चुनाव के कारण जनता का खर्च बढ़ेगा और इससे कोई फायदा नहीं होगा। इसके बाद अक्टूबर में महाराष्ट्र में फिर विधानसभा चुनाव हैं, इसके लिए सितंबर में ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। प्रदेश में विधानसभा चुनावों को 6 माह से भी कम का समय है। इस अवधि में काटोल में दो बार विधानसभा चुनाव होंगे, जो कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पिपल्स एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। ऐसे में याचिकाकर्ता ने काटोल में 11 अप्रैल को विधानसभा चुनाव लेने के निर्वाचन आयोग के फैसले को रद्द करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है।

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