नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट के प्रभावितों को मौजूदा बजार भाव से मुआवजा मिले

हाईकोर्ट ने कहा नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट के प्रभावितों को मौजूदा बजार भाव से मुआवजा मिले

Anita Peddulwar
Update: 2022-04-23 13:37 GMT
नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट के प्रभावितों को मौजूदा बजार भाव से मुआवजा मिले

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने साफ किया है कि नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट के लिए जमीन लिए जाने के चलते प्रभावित हुए लोगों को जमीन के मौजूदा बजार भाव से मुआवजा मिलना चाहिए। यह स्पष्ट करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को खारिज कर दिया है जिसके तहत लोगों को जमीन के मौजूदा बजार भाव के हिसाब से मुआवजा पाने में अवरोध लगाया जा रहा था। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति विनय जोशी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। 

राज्य सरकार की ओर से 13अगस्त 2018 को जारी आदेश के तहत महामार्ग के लिए ली जानेवाली जमीन की कीमत महाराष्ट्र स्टैंप एक्ट के रेडिरेकनर दर के हिसाब से तय किया गया था। इसके बाद सरकार ने सितंबर 2018 में एक शुद्धिपत्र के रुप में अधिसूचना जारी की थी। जिसके तहत समृद्धि महामार्ग प्रोजेक्ट को अगस्त 2018 के परिपत्र से मुक्त रखा गया था। इसके चलते कुछ परियोजना प्रभावित लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में दावा किया गया कि इस मामले में सितंबर 2018 को जारी की गई अधिसूचना मौलिक अधिकारों का हनन करती है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। याचिका में दावा किया गया कि मुआवजे के लिए सरकार प्रोजेक्ट के बीच भेदभाव नहीं कर सकती है। 

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि चूंकि समृद्धि महामार्ग प्रजोक्ट के लिए निजी तौर पर खरीदकर जमीन के अधिग्रहण का कार्य 84 प्रतिशत पूरा कर लिया गया था। और लोगों को मुआवजा भी दे दिया गया था। इसलिए सितंबर 2018 में प्रोजेक्ट को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी।  किंतु खंडपीठ ने इस मामले से जुड़ी सितंबर 2018 की अधिसूचना को रद्द करते हुए कहा कि अधिकारियों के पास इस तरह की अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि 83 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित होने का अर्थ यह नहीं है कि मुआवजे के लिए कानूनी के प्रावधानों को लागू न किया जाए। खंडपीठ ने कहा कि कानून के तहत मुआवजे का निर्धारण होना चाहिए।  

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