हवाई अड्‌डा खोलेगा नक्सलग्रस्त गड़चिरोली जिले के विकास की राहें  

बजट में घोषणा हवाई अड्‌डा खोलेगा नक्सलग्रस्त गड़चिरोली जिले के विकास की राहें  

Anita Peddulwar
Update: 2022-03-12 14:01 GMT
हवाई अड्‌डा खोलेगा नक्सलग्रस्त गड़चिरोली जिले के विकास की राहें  

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली।  राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजित पवार ने विधानसभा में राज्य का बजट पेश करते हुए नक्सलग्रस्त और उद्योग विरहित गड़चिरोली जिले में एयर पोर्ट की मंजूरी का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के चलते अब जिला विकास की उम्मीद और अधिक बढ़ गई है। हालांकि, प्रस्ताव में एयर पोर्ट के लिए निधि अथवा जगह की घोषणा नहीं की गई है, मात्र इसके लिए जल्द ही समिति गठित करने की घोषणा वित्त मंत्री द्वारा किये जाने से जिलावासियों में हर्ष की लहर निर्माण होने लगी है। यहां बता दें कि, 2009 में गड़चिरोली के चामोर्शी महामार्ग पर स्थित सेमाना देवस्थान परिसर की 500 एकड़ वनभूमि में रनवे के लिए सर्वेक्षण का कार्य किया गया था, लेकिन वन कानून की जटिल शर्तों के कारण रनवे का कार्य अधर में है।

अब तक राज्य की किसी सरकार अथवा केंद्र ने इस रनवे के लिए किसी तरह की निधि उपलब्ध नहीं कराई। शुक्रवार को गड़चिरोली जिले के लिए पृथक एयरपोर्ट को मंजूर करने की घोषणा बजट के दौरान किये जाने से जिलावासियों की उम्मीदें एक बार फिर बढ़ गई है। गड़चिरोली जिला 78 प्रतिशत वनों से व्याप्त है। यहां प्रचुर मात्रा में वनभूमि उपलब्ध है। 1980 के वन कानून के कारण यहां किसी तरह का बड़ा उद्याेग अथवा परियोजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। वन कानून की जटिल शर्तों के चलते ही जिले की प्रमुख 7 सिंचाई योजनाओं का कार्य मंजूर होने के बाद भी अब तक प्रलंबित है। अब जिले के लिए पृथक एयरपोर्ट मंजूर हुआ है। इस एयरपोर्ट के लिए भी कई प्रकार की अटकलें निर्माण होगी। समय रहते इन अटकलों को दूर कर एयरपोर्ट के लिए पर्याप्त निधि और पर्याप्त भूमि उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। 

खेती बचाओ संघर्ष समिति ने किया था आंदोलन 
जिला मुख्यालय से समीपस्थ बोदली गांव के किसानों के साथ मिलकर गड़चिरोली की सामाजिक कार्यकर्ता अमिता मडावी ने खेती बचाव संघर्ष समिति समिति के माध्यम से रनवे के लिए प्रयास शुरू किये थे। फरवरी 2009 में धानोरा मार्ग पर स्थित बोदली गांव की 750 एकड़ भूमि रनवे के लिए मंजूर की गयी थी। मात्र इस रनवे के चलते अनेक किसानों की जमीनें अधिग्रहित होने वाली थी। जिससे किसानों पर भूमिहिन होने की नौबत आन पड़ी थी। रनवे की इस जगह के खिलाफ अमिता मडावी ने समिति के माध्यम से संघर्ष शुरू किया। जिसे सफलता मिलने के बाद प्रशासन ने रनवे के लिए सेमाना देवस्थान के समीप 500 एकड़ की भूमि मंजूर की। मात्र यह जमीन भी वन कानून की अटकलों में फंसी है। अब नए एअरपोर्ट के लिए इसी जमीन का उपयोग होता हैं या इसके लिए नयी भूमि की खोज करनी पड़ेगी? यह तो समय आने पर ही पता चल पाएगा। 


 

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