नाटकों में जानवरों का रोल होता है चैलेंजिंग, जान फूंक देते हैं कलाकार

नाटकों में जानवरों का रोल होता है चैलेंजिंग, जान फूंक देते हैं कलाकार

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-16 08:31 GMT
नाटकों में जानवरों का रोल होता है चैलेंजिंग, जान फूंक देते हैं कलाकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक कलाकार की पहचान होती है कि उसे जो भी रोल दिया जाए उसमें वो खरा उतरे और दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़े। शहर में अक्सर नाट्य मंचन होते रहते हैं। उसमें शहर के कलाकार हर तरह की भूमिका निभाते रहते हैं। यहां तक कि कुछ कलाकारों ने जानवरों की भी भूमिका निभाई है और दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी है। हमने शहर के कुछ कलाकारों से चर्चा की, जिन्होंने नाटक में किसी जानवर का किरदार निभाया है। उनसे जाना कि जानवर का रोल करने के लिए उन्हें कैसी तैयारी करनी पड़ती है।

दर्शकों को बांधे रखने के लिए  कलाकार नाटक के रंग में रंग जाते हैं। शहर में हुए नाटकों में कुछ नाटक ऐसे हैं जो दर्शकों को आज भी पसंद आते हैं। ये नाटक जानवरों की भूमिका के कारण प्रसिद्ध हुए। इन नाटकों में जानवरों का रोल इतना अहम होता है कि पूरी कहानी में दर्शकों का ध्यान अन्य किरदारों के बजाय उस जानवर वाले किरदार पर होता है। इन जानवरों की आवाज निकालने वाले कलाकार भी खास होते हैं, जो इनके रोल को बखूबी समझकर इनकी आवाज निकालते हैं। वैसे आज टेक्नोलाॅजी में नए-नए प्रयोग होने के कारण जानवरों की आवाज अब आधुनिक यंत्रों से निकाली जाने लगी है। ऐसे नाटकों का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है, इसमें पूरी टीम को ही टास्क होता है, ताकि नाटक सक्सेस हो जाए।

तीन गिरगिट की कहानी
हम कलाकारों को अलग-अलग रोल प्ले करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब हमें सरडा यानी गिरगिरट का रोल करने के लिए कहा गया, तो तुरंत हां कर दी। नाटक ‘सरडा’ में तीन गिरगिट की कहानी थी। सभी ने अपने-अपने रोल को बखूबी निभाया। जब हमने अपना मेकअप देखा, तो थोड़ा अजीब लगा। इस रोल को करना हमारे लिए बहुत बढ़ा चैलेंज था। पूरी टीम ने मदद की। एक कलाकार चाहता है कि उसके अभिनय से दर्शक खुश हों। स्टेज पर पहंुचते ही दर्शकों ने जैसे ही ताली बजाई और जब हमने डायलॉग बोलने शुरू किए, तभी समझ आ गया कि सभी को हमारा गेटअप, कॉस्ट्यूम, मेकअप के साथ हमारा रोल भी पसंद आया। 
ज्योति, यश, वेदांत

बिल्ली का रोल करने में मजा आया
हाल ही में ‘अचाट गावची अफाट मावशी’ में मैंने बिल्ली का रोल किया। इस बालनाट्य को बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स ने भी काफी एंजॉय किया। नाटक में बिल्ली ही मुख्य भूमिका में थी। नाटक में पांच बिल्लियां थीं। सबसे सीनियर बिल्ली मैं बनी थी। जब हमारा मेकअप हुआ, तो देखकर थोड़ा अजीब लगा। स्टेज में जाते ही दर्शकों ने तालियां बजाई, तो मेरा उत्साह बढ़ गया। तब लगा कि हमारा रोल अहम है और दर्शक भी देखकर खुश हुए। मुझे बिल्ली का रोल करने में बहुत मजा आया। नाटक को तो अपार सफलता मिली ही, साथ ही हमारे रोल को भी दर्शकों ने बहुत सराहा। 
- राधिका देशपांडे

कलाकार को स्वीकार करने चाहिए रोल
नाटक की बात हो या फिल्मों की बात, कलाकार को हर रोल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही चैलेजिंग और यूनिक रोल तो करना ही चाहिए। जब हम कुछ हट कर करते हैं, तो हमारी पहचान होती है। मैंने ‘सरडा’ नाटक का निर्देशन किया है। इसमें सरडा के किरदारों ने उस रोल को बहुत ही बखूबी निभाया है। नाटकों में भी नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। जो कलाकारों के लिए बहुत ही बढ़िया है। 
- जयंता बन्लावार, नाटक निर्देशक

 

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