आसाराम गुरुकुल द्वारा आदिवासी की जमीन हड़पने का मामला ,प्रमुख सचिव सहित जिला प्रशासन को नोटिस

आसाराम गुरुकुल द्वारा आदिवासी की जमीन हड़पने का मामला ,प्रमुख सचिव सहित जिला प्रशासन को नोटिस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-10 07:43 GMT
आसाराम गुरुकुल द्वारा आदिवासी की जमीन हड़पने का मामला ,प्रमुख सचिव सहित जिला प्रशासन को नोटिस

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। आदिवासी की जमीन हड़पने के मामले में आसाराम गुरुकुल प्रबंधन अब कार्रवाई के दायरे में आ गया है। इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष प्रकरण आने पर मामले में अध्यक्ष ने अधिकारियों को दिल्ली तलब किया है। प्रकरण में प्रमुख सचिव राजस्व सहित जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है। 11 अक्टूबर को अधिकारियों को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना होगा। शक्ति हाउस द्वारा राज परिवार की जमीन हड़पने के मामले में आदिवासी विकास परिषद सहित छत्तीसगढ़ राजपरिवार के लोगों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष प्र्रकरण प्रस्तुत किया था। पिछले दिनों मामला सामने आने के बाद इस मामले में शक्ति हाऊस प्रबंधन को अब तक दो नोटिस जारी किए जा चुके है। अब इस प्रकरण में अधिकारियों की बारी है। आयोग ने प्रमुख सचिव राजस्व सहित जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है। इस पूरे प्रकरण की सुनवाई अध्यक्ष द्वारा व्यक्तिगत रूप से की जा रही है।
 

15 साल से चल रहा विवाद, हो चुके कई आंदोलन
शक्ति हाउस प्रबंधन और आदिवासी संगठनों द्वारा पिछले 15 सालों से ये विवाद जारी है। आदिवासी समाज इस मामले में कई बार आंदोलन कर चुका है। हर बार जमीन से कब्जा हटाने की मांग चल रही है, लेकिन प्रकरण का कोई हल आज तक निकलकर सामने नहीं आया है।
 

अब तक हुई कार्रवाई के दस्तावेज करने होंगे उपलब्ध
प्रकरण में आयोग ने आसाराम गुरुकुल के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई और जमीन से जुड़े दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के आदेश जारी किए हैं, जिसके आधार पर ही तय होगा कि ये जमीन की वास्तविक स्थिति क्या है। किस आधार पर शक्ति ट्रस्ट ने जमीन पर कब्जा किया हुआ है।

इनका कहना है
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के द्वारा ये नोटिस प्रमुख सचिव राजस्व और छिंदवाड़ा जिला प्रशासन को जारी किया गया है। प्रकरण की सुनवाई 11 अक्टूबर को दिल्ली स्थित एसटी कमीशन आयोग के दफ्तर में होनी है। -अनुसुइया उईके, उपाध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति आयोग

 

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