मनपा के फर्जीवाड़े को छिपाने न्यायालय को किया गुमराह
मिलीभगत मनपा के फर्जीवाड़े को छिपाने न्यायालय को किया गुमराह
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा और हॉकर्स के बीच अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। नगर विकास विभाग के एक कक्ष अधिकारी द्वारा मनपा आयुक्त के नाम से भेजे गए पत्र का गलत इस्तेमाल कर न्यायालय को गुमराह करने का आरोप है। ऐसे में सरकार द्वारा मनपा के फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए बड़ा फर्जीवाड़ा करने का आरोप लग रहा है। फिलहाल इस मामले में राज्य सरकार और मनपा के अधिवक्ताओं पर कार्रवाई की मांग की जा रही है।
मामला यह है
नगर विकास विभाग के कक्ष अधिकारी धनंजय भागवत ने महाराष्ट्र शासन द्वारा 26 अक्टूबर 2021 को मनपा आयुक्त के नाम से एक पत्र भेजा है। पत्र में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि पथ विक्रेता (उपजीविका संरक्षण एवं पथ विक्रय विनयमन) अधिनियम 2014 की कलम 22 तथा नियम 2016 (3) (2) के अंतर्गत नागपुर शहर पथ विक्रेता समिति का गठन किया गया है। लेकिन उक्त पत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता एवं मनपा के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय मुंबई खंडपीठ नागपुर में रिट क्रमांक 3902/2021 की याचिका में उच्च न्यायालय में यह दलील दी कि महाराष्ट्र सरकार ने नागपुर शहर पथ विक्रय समिति का गठन (टाउन वेंडिंग कमेटी) कर दिया है और संबंधित पत्र निगमायुक्त को भेज दिया गया है। न्यायालय ने उक्त पत्र की दखल लेते हुए 27 अक्टूबर 2021 को अंतिम सुनवाई में अधिवक्ता की दलील को स्वीकार कर लिया और निर्णय दिया कि नागपुर नगर पथ विक्रेता समिति को मान्यता दे दी गई है।
जिलाधिकारी के पास दर्ज कराई आपत्ति
इस पूरी प्रक्रिया को लेकर नागपुर जिला पथ विक्रेता (हॉकर्स) संघ के अध्यक्ष जम्मू आनंद ने आपत्ति दर्ज कराई है। जिलाधिकारी विमला आर. से मिलकर राज्य सरकार एवं मनपा का मुंबई उच्च न्यायालय नागपुर खंडपीठ में प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं की शिकायत की। दोनों अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जम्मू आनंद ने कहा कि सरकार ने मनपा के फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। सरकार ने अभी तक नागपुर शहर पथ विक्रेता समिति को मान्यता नहीं दी है। सिर्फ समिति की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है, लेकिन अधिवक्ताओं ने न्यायालय को गुमराह किया है। उन्होंने बताया कि पथ विक्रेता उपजीविका संरक्षण एवं पथ विक्रय विनियमन अधिनियम 2016 के कलम 16 (2) के मुताबिक राज्य सरकार को किसी भी शहर के लिए 20 सदस्य की नगर विक्रय समिति जाहिर करना होता है और साथ में समिति के अध्यक्ष की भी घोषणा करनी होती है, लेकिन सरकार ने ऐसी किसी प्रकार की नगर विक्रय समिति की घोषणा नहीं की है। जहां तक 26 अक्टूबर 2021 का पत्र का सवाल है, तो उसमें भी नगर विकास विभाग ने नगर विक्रय समिति के अन्य मंडल (पथ विक्रेताओ के प्रतिनिधियों को छोड़) सदस्यों मे से सिर्फ दो सदस्यों की घोषणा मात्र की है।
पहले दिन से नियमों का उल्लंघन
संघ के अध्यक्ष जम्मू आनंद के मुताबिक मनपा ने नगर विक्रय समिति का गठन करने की जो प्रक्रिया नियम 2016 के अंतर्गत उल्लेखित है, उसका उल्लंघन पहले दिन से ही हो रहा है। इसी वजह से राज्य सरकार को मनपा द्वारा शहर पथ विक्रेता समिति को जो प्रस्ताव भेजा गया, उसे दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अधिसूचित नहीं कर पाई।