कोल्हापुर की महालक्ष्मी माता की मूर्ति बदलने की उठ रही मांग

कोल्हापुर की महालक्ष्मी माता की मूर्ति बदलने की उठ रही मांग

Anita Peddulwar
Update: 2018-12-14 07:11 GMT
कोल्हापुर की महालक्ष्मी माता की मूर्ति बदलने की उठ रही मांग

डिजिटल डेस्क, पुणे । खंडित मूर्ति की पूजा जहां वर्जित होती है वहीं कोल्हापुर के प्रसिद्ध अंबाबाई देवी की खंडित मूर्ति की पिछले कई सालों से पूजा की जा रही है । भक्त अब मूर्ति बदलने की मांग करने लगे हैं। भक्तों ने यह मांग लेकर कलेक्टर से गुहार लगाते हुए ज्ञापन भी सौंपा है। श्रद्धालुओं का कहना है कि अंबाबाई देवी की मूर्ति काफी पुरानी है। पिछले बारह साल से मूर्ति पर मस्तकाभिषेक नहीं किया गया है। इसके अलावा देवी की मूर्ति पांच जगह से खंडित हो चुकी है। खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। श्रद्धालुओं का कहना है कि वर्ष 2014 में मूर्ति बदलने की मांग को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन इस बीच पुजारी हटाओ तथा विविध आंदोलनों के कारण इस मांग की ओर ध्यान नहीं दिया गया। बता दें कि कोल्हापुर में अंबाबाई देवी के दर्शन करने के लिए पूरे देश से लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं। 

 

वर्ष 2016 में मूर्ति का किया गया था संवर्धन 

बता दें कि साल 1917 से अब तक अंबाबाई देवी की मूर्ति के पांच स्थान से खंडित हो गई है। इसके फोटो उपलब्ध हैं। साल 2016 में मूर्ति का संवर्धन किया गया लेकिन उस समय पुरातत्व विभाग ने स्पष्ट किया था कि संवर्धन प्रक्रिया के बावजूद भी मूर्ति के संवर्धन को लेकर गारंटी नहीं दी जा सकती। संवर्धन प्रक्रिया का विडियो भी तैयार किया गया था। 

 

मंदिर के अंदर है और भी प्रतिमाएं

इसी मंदिर के अन्दर नवग्रहों, भगवान सूर्य, महिषासुर मर्धिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि देवी देवताओं को पूजा करने का स्थल भी दिखाई देते हैं। इन प्रतिमाओं में से कुछ 11 वीं सदी के हो सकते हैं, जबकि कुछ हाल ही मूल के हैं। इसके अलावा आंगन में स्थित मणिकर्णिका कुंड के तट पर विश्वेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित हैं। कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर साल दो बार महालक्ष्मीजी की चरण छूकर पूजा करके आदर करने के लिए यहाँ पहुंते हैं। "रथ सप्तमी" के अवसर पर यह अद्भुत दृश्य देखा जाता है।  हर साल जनवरी माह में ऐसा होता हैं।  पहले दिन, सूरज की किरणें देवीजी के पैरों पर पड़ती है, दूसरे दिन, देवता के मध्य भाग को छूती है और तीसरे दिन देवीजी के मुख मंडल को रोशनी करती है, तीन दिन यहां अनोखा दृश्य देखा जा सकता है।  

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