मां के दूध का इतना असर कि नवजात को छू भी नहीं पाया कोरोना

मां के दूध का इतना असर कि नवजात को छू भी नहीं पाया कोरोना

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-22 05:58 GMT
मां के दूध का इतना असर कि नवजात को छू भी नहीं पाया कोरोना

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कोरोनाकाल गर्भवती महिलाओं के लिए चुनौती भरा रहा, लेकिन राहत की बात यह रही कि कोरोना संक्रमित माताओं के नवजातों में संक्रमण की दर नाममात्र रही। यानी संक्रमित महिलाओं के गर्भ में पल रहा शिशु तक कोरोना वायरस पहुंच नहीं पाए अथवा असर नहीं कर पाए। सिर्फ गर्भस्थ शिशु के ही सुरक्षित होने की बात नहीं है, मां के दूध का इतना असर रहा कि कोरोना नवजात का कुछ नहीं बिगाड़ पाया। 

दो बड़े सरकारी अस्पतालों में ऐसी रही स्थिति
मेयो अस्पताल में मार्च से अभी तक 316 कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हुई, जिसमें से 18 बच्चे पॉजिटिव थे। इनका प्रतिशत 5.69 रहा। फिलहाल सभी बच्चे स्वस्थ हैं। मेडिकल अस्पताल में अगस्त से लेकर अभी तक 273 कोरोना पॉजिटिव महिलाओं की डिलीवरी हुई है, जिसमें पॉजिटिव बच्चों का मामला सामने नहीं आया।  

मां के दूध में कोविड-19 नहीं पाया गया
मां के दूध पर कोविड-19 के असर को लेकर भी आईसीएमआर में अध्ययन किया गया है। इसके मुताबिक मां के दूध में कोविड-19 नहीं पाया गया है। ऐसे में बच्चे को मां का दूध पिलाया जा सकता है। वायरस के खतरे के चलते बच्चे को अस्थायी तौर पर मां से अलग रखा जाता है और दूध पिलाया जाता है तो इस संबंध में कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

कोलोस्ट्रम से मिलता है नवजात को लाभ 
डिलीवरी के बाद स्तन से जो पहला स्राव होता है, उसे कोलोस्ट्रम कहते हैं।  कोलोस्ट्रम एक विशेष प्रकार का दूध होता है, जिससे नवजात को कई पोषक तत्व मिलते हैं। कोलोस्ट्रम में उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। कोरोनाकाल की बात करें तो मां भले भी कोरोना पॉजिटिव हो, पर दूध में इतनी ताकत रही कि बच्चे को मामूली समस्या भी नहीं हुई।   -डॉ. सीमा पारवेकर, अधीक्षक डागा अस्पताल 

मां का दूध बच्चों के लिए वरदान साबित होता है
कुछ वायरस ऐसे होते हैं जो नाल से ही बच्चे में चले जाते हैं। इसलिए डिलीवरी के तुरंत बाद ही बच्चे को मां के पास से सुरक्षित जगह पर उसकी देखरेख की गई। ऐसे समय में बच्चे के लिए मां का दूध वरदान साबित होता है। कोरोना में संक्रमित माताओं को सावधानी बरतने की सलाह दी गई, ताकि नवजात कोरोना की चपेट में न आए।  -डॉ अविनाश गावंडे, अधीक्षक मेडिकल अस्पताल

स्टाफ ने पूरा ध्यान रखा
कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के समय स्टाफ ने पूरा ध्यान रखा। बच्चे के जन्म के बाद उसे मां के संपर्क में नहीं आने दिया। इस वजह से बहुत कम बच्चे ही पॉजिटिव आए हैं। कोरोनाकाल में प्रसूति विभाग और नर्सिंग स्टाफ की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। -डॉ. सागर पांडे, उप अधीक्षक मेयो अस्पताल

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