दिल्ली में हाेगा पटोले का शक्ति का प्रदर्शन,किसानों को लेकर संसद का घेराव

दिल्ली में हाेगा पटोले का शक्ति का प्रदर्शन,किसानों को लेकर संसद का घेराव

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-10 10:36 GMT
दिल्ली में हाेगा पटोले का शक्ति का प्रदर्शन,किसानों को लेकर संसद का घेराव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की नीतियों का विरोध करते हुए भाजपा व लोकसभा की सदस्यता छोड़नेवाले नाना पटोले का राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन दिल्ली में ही होगा। कांग्रेस ने उन्हें किसान व खेती मजदूर प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया है। 23 अक्टूबर को किसानों की मांगों को लेकर पटोले के नेतृत्व में संसद का घेराव किया जायेगा। घेराव प्रदर्शन में देश भर से किसान शामिल होंगे। इससे पहले 2 अक्टूबर को दिल्ली में किसानों के आंदोलन पर लाठीचार्ज किया गया था। मध्यप्रदेश में भी किसान आंदोलन चर्चा में रहा है। कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ की ओर से होने वाला संसद का घेराव प्रदर्शन चुनाव तैयारी के तहत काफी महत्वपूर्ण होगा। लिहाजा पटोले की राजनीतिक क्षमता भी कसौटी पर रहेगी। इससे पहले पटोले ने नागपुर में ही शक्ति प्रदर्शन किया था। सत्कार कार्यक्रम के बहाने पूर्व विदर्भ से भारी भीड़ जुटायी थी। ओबीसी आंदोलन का भी आव्हान किया गया था।

श्री पटोले 2014 में बतौर भाजपा उम्मीदवार भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। उन्होंने राकांपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल पटेल को पराजित किया था। लेकिन बाद में वे बागी तेवर अपनाने लगे। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे। दिसंबर 2017 में उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश लिया। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए। भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में राकांपा उम्मीदवार जीते। कहा गया कि राकांपा उम्मीदवार को जिताने में पटोले का काफी योगदान रहा। इस बीच उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी दी। कांग्रेस किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। 

किसानों की हालत ठीक नहीं
नाना पटोले ने कहा है कि किसानों की हालत ठीक नहीं हैं। सरकार अपने ही वादे को पूरे नहीं कर पायी है। केंद्र सरकर कृषि उपज को सही समर्थन मूल्य नहीं दे पा रही है। राज्य सरकार ने कृषि केे कर्ज माफ करने की घोषणा तो की पर घोषण पर अमल नहीं कर पायी। किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। अन्य राज्यों की भी यही  स्थिति है। सरकार किसानों को न्याय देने के बजाय उनपर गाेलियां चलवा रही है। 

 

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