कर्ज माफी - ग्रीन, व्हाइट और पिंक कैटेगरी में बंटेंगे किसान

 कर्ज माफी - ग्रीन, व्हाइट और पिंक कैटेगरी में बंटेंगे किसान

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-10 07:48 GMT
 कर्ज माफी - ग्रीन, व्हाइट और पिंक कैटेगरी में बंटेंगे किसान

डिजिटल डेस्क, शहडोल। किसानों का कर्ज माफ करने की गाइडलाइन मिलने के साथ ही जिला प्रशासन ने काम भी शुरू कर दिया है। इसके तहत जिले के कर्जदार किसानों की लिस्ट बनाई जा रही है। इसके लिए किसानों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें पहली ग्रीन, दूसरी व्हाइट और तीसरी पिंक कैटेगरी है। जिन किसानों के पास आधार कार्ड हैं, उनको ग्रीन कैटेगरी में रखा जाएगा। जो किसान पात्र हैं, लेकिन आधार कार्ड नहीं है, उनको व्हाइट में और जिन किसानों का नाम सूची में नहीं है, लेकिन पात्रता रखते हैं, उन्हें पिंक कैटेगरी में रखा गया है। 22 फरवरी से पहले किसानों का कर्जमाफी करने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। किसानों ने सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंकों से फसल लोन लिया है, उनको योजना का लाभ मिलना है। इन किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया जाएगा। इसके लिए सूची तैयार की जा रही है।

15 जनवरी से लगेगी बैंकों में लिस्ट
जिले के जिन डिफॉल्टर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा, उनकी सूची 15 जनवरी से बैंकों में और ग्राम पंचायतों में लगानी शुरू कर दी जाएंगी। इन किसानों को अपने लोन खातों से आधार नंबर लिंक कराना पड़ेगा। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पंचायतों में 26 जनवरी को होने वाली आम सभा में इसकी जानकारी भी दी जाएगी। इसके लिए एमपी ऑनलाइन द्वारा पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिस पर इसकी जानकारी अपडेट की जाएगी। 

24 हजार किसान
जिले के सहकारी बैंकों से लोन लेने वाले किसानों की संख्या 24135 है। इनमें से करीब 30 फीसदी किसानों के आधार नंबर खातों से लिंक हैं। जबकि 70 फीसदी किसानों को अभी अपने ऋण खातों को आधार से लिंक कराना होगा।

कलेक्टर ने दिए निर्देश
ऋण माफी को लेकर बुधवार को कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव की उपस्थिति में कृषि एवं खाद्य विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक कलेक्टर सभागार में हुई। बैठक में कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना का लाभ किसानों को पहुंचाने के लिये सभी संबंधित विभाग के अधिकारी प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित कराएं एवं समय-सीमा में किसानों को योजना का लाभ दिलाएं। संबंधित अधिकारी सतत मॉनीटरिंग करें।   
 

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