नौनिहालों ने संभाली ग्राम पंचायत, सरपंच,उपसरपंच सहित बाल समिति कर रही काम

नौनिहालों ने संभाली ग्राम पंचायत, सरपंच,उपसरपंच सहित बाल समिति कर रही काम

Anita Peddulwar
Update: 2020-09-09 10:25 GMT
नौनिहालों ने संभाली ग्राम पंचायत, सरपंच,उपसरपंच सहित बाल समिति कर रही काम

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। सुविधाओं का उपयोग करने की उम्र में बच्चे उन सुविधाओं की कार्ययोजना बना रहे हैं। लगता मुश्किल है पर ये हो रहा है महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की पोंभुर्णा तहसील अंतर्गत क्षेत्र की घाटकुल ग्राम पंचायत में। दुर्गम क्षेत्र में बसे इस गांव की विशेषता यह है कि, यहां के सारे कामकाज की बागडोर नन्हे-मुन्नों ने अपने हाथ में थाम रखी है। यहां के बच्चों ने न केवल घाटकुल ग्राम पंचायत का कामकाज बेहतरीन तरीके से संभाला, बल्कि इस गांव की काया ही बदलकर रख दी।  यूनिसेफ के मार्गदर्शन में जिला परिषद ने जिले की 41 ग्राम पंचायतों में अनूठा प्रयोग करते हुए इन गांवों के ग्राम पंचायतों की बागडोर 6 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को सौंप दी।  ग्राम पंचायत स्तर पर बाल पंचायतों का निर्माण किया गया। ग्राम पंचायत की तरह ही बच्चों को सरपंच, उपसरपंच बनाया गया। साथ ही उपसमितियां भी बनाई गईं। तत्पश्चात इन बाल पंचायतों के माध्यम से  गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे अनेक विषयों को लेकर जनजागरण किया गया। इसका सर्वाधिक असर घाटकुल में नजर आ रहा है। यहां की बाल पंचायत प्रभावी रूप से जनजागरण अभियान चला रही है। 

बच्चे ही कर रहे गांवों के कामों का नियोजन 
इस बाल पंचायत में मासिक बैठक बच्चे ही ले रहे हैं। गांव में कौन से काम किए  जाने चाहिए, इसका नियोजन भी इन बैठकों में हो रहा है। कोई भी बच्चा शाला से वंचित न रहे, कुपोषित न रहे इसके लिए प्रत्यक्ष आंगनवाड़ियों में जाकर कार्य किए जा रहे हैं। ग्राम स्वच्छता के अलावा गांव में प्लास्टिक मुक्ति की ओर ध्यान देने का सराहनीय प्रयास भी इस माध्यम से हो रहा है। जिले में अव्वल आने के साथ ही घाटकुल की बाल पंचायत ने राज्य में भी अपना उल्लेखनीय स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की है।

कलेक्टर के सामने बालिका सरपंच ने रखी अपनी भूमिका
बाल पंचायत की सरपंच काजल चांगदेव रालेगांवकर नामक बालिका ने तत्कालीन जिलाधिकारी कुणाल खेमनार व सीईओ डाॅ. राहुल कर्डिले के सामने भाषण देकर कार्यक्रम की भूमिका रखी थी। उस समय उसका सभी ने अभिनंदन किया था। राष्ट्रीय स्तर पर भी काजल ने यूनिसेफ विशेषज्ञों के साथ चर्चा में भाग लिया। उसे वर्षा रामटेके, प्रेरक मुकुंदा हासे, संदिप शिंदे का सहयोग मिल रहा है।

गांव में हो रहे सकारात्मक बदलाव
बालपंचायत के माध्यम से गांव में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। बच्चे संस्कारित होने के साथ ही अपने अधिकार, कर्तव्य और कानून संबंधी जानकारियां ले रहे हैं। हम हर बैठक में उन्हें यह जानकारियां दे रहे हैं। उनके कारण गांव में जागरुकता आई है। अब यह बच्चे स्वयं ही गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा आदि को लेकर जनजागरण का कार्य कर रहे हैं। - मुकुंदा हासे, प्रेरक, बाल पंचायत,  घाटकुल
 
 

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