सर्दियों में अक्सर साफ रहने वाले पश्चिमी हिस्सों के महाराष्ट्र में भी तेजी से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण

पर्यावरणीय असंतुलन का खामियाजा सर्दियों में अक्सर साफ रहने वाले पश्चिमी हिस्सों के महाराष्ट्र में भी तेजी से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण

Anupam Tiwari
Update: 2022-01-21 14:39 GMT
सर्दियों में अक्सर साफ रहने वाले पश्चिमी हिस्सों के महाराष्ट्र में भी तेजी से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होने से वायु प्रदूषण की समस्या अब देश के किसी एक हिस्से की नही रही है। आमतौर पर सर्दियों के दौरान देश के उत्तरी हिस्से में दिन और रातें कोहरे से ढक जाती है, जबकि इसके विपरीत देश का पश्चिमी हिस्सा ज्यादा साफ रहता है, लेकिन धीरे-धीरे बढते वायु प्रदूषण के कारण पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात के शहरों की आबोहवा बेहद खराब होती जा रही है। यह जानकारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट पश्चिमी राज्यों के लिए क्षेत्रीय स्तर पर वायु गुणवत्ता के लिए किए गए नवीनतम विश्लेषण में सामने आयी है।

सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के मुकाबले गुजरात के शहरों की हवा ज्यादा जहरीली हो गई है। हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि महाराष्ट्र के ज्यादातर शहरों में लॉकडाउन के बाद प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई है। वायु गुणवत्ता के वार्षिक औसत के हिसाब से इसका स्तर बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन प्रदेश के कई शहरों में खराब और बहुत खराब श्रेणी के वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में बढोतरी हुई है।

रिपोर्ट बताती है कि सर्दियों के दौरान हवा को ज्यादा जहरीली बना देने वाले कारक पीएम 10 कणों की तुलना में महीन पीएम 2.5 कणों की हिस्सेदारी महाराष्ट्र के शहरों में 50-60 प्रतिशत दर्ज की गई है। जबकि गुजरात के शहरों में 71 फीसदी तक दर्ज की गई है। रिपोर्ट की माने तो वायु गुणवत्ता के स्तर को हासिल करने के लिए यहां के शहरों को अपने पीएम 2.5 के वार्षिक स्तर में 40 फीसदी तक की कटौती करनी होगी।

प्रदेश के चंद्रपुर शहर में पीएम 2.5 का स्तर वार्षिक मानक से थोडा ऊपर 43 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जबकि अन्य स्टेशनों ने वार्षिक मानक को हासिल कर लिया था। हालांकि यह सभी स्टेशन 2020 में प्रदूषण में आई गिरावट के बाद 2021 में इसकी बढती प्रवृत्ति को दिखा रहे हैं। मुंबई में खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में दक्षिण मुंबई की स्थिति सबसे ज्यादा खराब पाई गई। इसके बाद कल्याण में 84 दिन, नवी मुंबई में 54 दिन हवा की गुणवत्ता खराब या बहुत खराब श्रेणी की थी।

कल्याण में यह स्तर 117 और नवी मुंबई में 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक पीएम 2.5 का यह स्तर पिछली सर्दियों की तुलना में थोडा ज्यादा रहा। चंद्रपुर में सबसे अधिक था, जो पिछली सर्दियों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक दर्ज किया गया था। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमति रॉय चौधरी का कहना है कि 2019 से 2021 के रियल टाइम वायु गुणवत्ता के आंकडों के विश्लेषण से पता चला है कि लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण में जो गिरावट आई थी, वह स्थिति बदल रही है। यहां प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बढ रहा है। 

सभी शहरों में बढ़ा एनओ2 का स्तर

रसीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के मुकाबले गुजरात के शहरों की हवा ज्यादा जहरीली हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के मुकाबले दिसंबर के दौरान इन राज्यों के सभी शहरों में हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) के स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। सोलापुर में मासिक एनओ2 के स्तर में 4.9 गुना का उछाल आया था, वहीं नवी मुंबई 3.9 गुना, औरंगाबाद में 3.6 गुना, चंद्रपुर में 3 गुना, वातवा, 2.7 गुना और मुंबई में 2.5 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।

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