टेस्ट-टयूब नहीं जानते विद्यार्थी, देंगे प्रेक्टिकल परीक्षा

टेस्ट-टयूब नहीं जानते विद्यार्थी, देंगे प्रेक्टिकल परीक्षा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-01 07:46 GMT
टेस्ट-टयूब नहीं जानते विद्यार्थी, देंगे प्रेक्टिकल परीक्षा

डिजिटल डेस्क, कटनी। सरकारी स्कूलों के नवमी और दसवीं कक्षा में अध्ययनरत बच्चों की प्रायोगिक कक्षाएं भगवान भरोसे चल रही हैं। प्रेक्टिकल क्लास के नाम पर की जा रही खानापूर्ति से विद्यार्थी हाईस्कूल में पहुंचने के बाद विज्ञान के प्राथमिक सिद्धांत को भी अच्छी तरह से नहीं समझ पा रहे हैं। भास्कर ने जब तीन स्कूलों में पहुंचकर लैब की जानकारी जुटाई, तो पुरवार हाई स्कूल छोड़कर अन्य दो हाई स्कूल कुठला और उमावि साधुराम स्कूल में लैब की स्थिति बद से बद्तर मिली। अगले माह कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा के साथ प्रायोगिक परीक्षा भी आयोजित की जाएगी। लेकिन जिस तरह से तैयारी शहर के ही शासकीय स्कूलों में है। उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति करते हुए बच्चों के चेहरे देखकर ही पच्चीस फीसदी प्रेक्टिकल के नंबर देने का काम बाह्य परीक्षक करेंगे। जबकि इसके लिए शासन स्तर पर स्कूलों को अतिरिक्त राशि भी दी जाती है। वहीं कक्षा प्रेक्टिकल कक्षाओं के नाम पर छात्र-छात्राओं से निर्धारित फीस भी ली जाती है।

कन्या हाईस्कूल पुरवार
यहां पर अध्ययनरत 88 छात्राओं के विज्ञान विषय की पढ़ाई अतिथि शिक्षिका के भरोसे चल रही है। स्कूल में तो प्रेक्टिकल सामग्री व्यवस्थित रुप से एक कमरे में पड़ी रही। साथ ही छात्राओं के पास बकायदा फाईल भी मिली। चुनाव के पहले तक जो प्रेक्टिकल कक्षाएं व्यवस्थित रुप से चलती रही। वह कक्षाएं अब अव्यवस्थाओं के बीच संचालित हो रही हैं। चुनाव के समय यहां पर तीन-तीन मतदान केन्द्र बनाए गए थे। जिसके कारण लैब में ही स्कूल का फर्नीचर व्यवस्थित करना पड़ा।

साधुराम उमावि स्कूल  
शहर के बीचों-बीच इस स्कूल में तो पिछले पांच वर्ष से प्रेक्टिकल कक्षाएं ही संचालित नहीं हो रही है। यहां पर हाईस्कूल में 129 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके बावजूद यहां के बच्चे प्रेक्टिकल परीक्षा में अच्छे नंबर ला रहे हैं। इस स्कूल में लैब की हालत पूरी तरह से खस्ताहाल मिली। स्कूल की प्रभारी भारती तिवारी तो यह भी नहीं बता सकी कि इस स्कूल में लैब और प्रायोगिक सामग्री भी है। यहां के शिक्षकों ने बताया कि करीब पांच वर्ष पहले लैब कक्ष में आग लग गई थी। इसके बाद दोबारा लैब का ताला नहीं खुल सका। यहां पर तो बच्चे ब्यूरेट,टेस्ट-ट्यूब को भी नहीं पहचानते। शिक्षा विभाग के जानकारों ने बताया कि पिछले पांच वर्ष में प्रयोगिक कक्षाओं के नाम पर यहां पर राशि खर्च करने का काम किया जा रहा है।  

कुठला हाई स्कूल  
तीन वर्ष पहले मिडिल स्कूल को उन्नयन करते हुए हाईस्कूल बना दिया गया। इसके बावजूद सुविधाओं में किसी तरह का इजाफा नहीं हुआ। कक्षा नवमी और दसवीं में अध्ययनरत 103 विद्यार्थियों को कभी-कभार ही प्रेक्टिकल सामग्री के दर्शन हो पाते हैं। यहां पर प्राचार्य कक्ष सहित चार कमरे हैं। तीन कमरों में सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई होती है। लैब का रुम अलग नहीं रहने से अलमारी में ही प्रेक्टिकल सामग्री कैद होकर रह गई है। यहां पर प्राचार्य एम.तिग्गा ने बताया कि कमरे नहीं होने से इस तरह की परेशानी हो रही है।

 

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