ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रति गुरुवार दीपदान करें  : आचार्य गुप्तिनंदी

ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रति गुरुवार दीपदान करें  : आचार्य गुप्तिनंदी

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-23 10:26 GMT
ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रति गुरुवार दीपदान करें  : आचार्य गुप्तिनंदी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रति गुरुवार दीपदान करना चाहिए। यह उद्गार दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदी गुरुदेव ने श्री नवग्रह शांति विधान के दौरान गुरुवार को ऑनलाइन धर्मतीर्थ में व्यक्त किए।श्री जिनेंद्र भगवान का पंचामृताभिषेक, महाशांतिमंत्र किया गया। सौधर्म इंद्र सुशीला, इंद्रकुमार, आशीष, डिम्पल, सुवित, आदित्य, अर्णव सिंगलकर ने गुरु ग्रह अरिष्ट निवारक श्री आदिनाथ विधान किया। हजारों श्रावकों ने अपने-अपने घर में विधान पूजन किया। गुरुदेव ने विधान और उसका महत्व समझाया। मुनिश्री विमलगुप्त, मुनिश्री विनयगुप्त, आर्यिका आस्थाश्री माताजी, क्षुल्लक धर्मगुप्त, क्षुल्लक शांतिगुप्त, क्षुल्लिका धन्यश्री माताजी, क्षुल्लिका तीर्थश्री माताजी उपस्थित थे।

गुरुदेव ने कहा कि अभिषेक के मंत्रों में महत्वपूर्ण बीजाक्षरों का समावेश है जिनकी ऊर्जा जीवन में आनेवाले विघ्नों का परिहार करती है और भगवान के मस्तिष्क पर पंचामृत धारा करते हुए इस मंत्र के जाप से ऊर्जा अनंत गुणा हो जाती है। जब गाय, भैंस का दूध दोहन किया जाता है, तब वह धारोष्ण कहलाता है। धारोष्ण दूध में 48 मिनट तक जीवोत्पत्ति नहीं होती और इसे तुरंत गर्म करने पर इसकी मर्यादा 24 घंटे हो जाती है। दूध में 43 प्रकार के रासायनिक तत्व होते हैं जो प्रतिमा का घनत्व, स्मूथनेस, कांति को बढ़ाते हैं। प्रतिदिन भगवान का दुग्धाभिषेक करने के कारण भारत में कभी दूध की कमी नहीं होती। जो भव्य जीव प्रतिदिन अपने घर से कलश में दूध लाकर जिन भगवान का अभिषेक करता है वह दूध के समान धवल परिणामों का धारक बनता है और परंपरा से अरिहंत पद की प्राप्ति करता है। जिसके बच्चे पढ़ने में कमजोर है उन्हें ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रति गुरुवार को जिनमंदिर में दीप का दान और अखंड ज्योत में एक माह या एक वर्ष का घी दान करना चाहिए। जो प्रतिदिन भगवान के गुणों का पूजन भजन करते हैं उनके सब अमंगल, रोग, शोक दोष नाश हो जाते हैं, जीवन मंगलमय हो जाता हैं।

सम्यक प्रकार के पूजन करने पर ही नवग्रहों के अरिष्टों की शांति हो सकती है। तीर्थ वंदना भी अपूर्व पुण्य देने वाली है। सम्मेदशिखरजी तीर्थक्षेत्र का विशेष महत्व है। श्री नवग्रह तीर्थ क्षेत्र भी अतिशयकारी है। तीर्थ के दर्शन कर व नवग्रहों के नव जिनेंद्र का यथाशक्ति अभिषेक कर पुण्यार्जन करें।   धर्मतीर्थ विकास समिति के संयोजक नितीन नखाते ने बताया शुक्रवार, 23 अक्टूबर को सुबह 7 बजे पंचामृताभिषेक, महाशांतिमंत्र, शुक्र ग्रह अरिष्ट निवारक श्री पुष्पदंत विधान और शाम 6.40 बजे से परमानंद यात्रा, भक्तामर पाठ, आलोचना पाठ, गणधर वलय मंत्र का जाप होगा। अधिक जानकारी के लिए नखाते से संपर्क कर सकते हैं।

 

Tags:    

Similar News