कच्चे बिल पर गुटखा मंगाने वाले व्यापारी का नहीं पता

कटनी कच्चे बिल पर गुटखा मंगाने वाले व्यापारी का नहीं पता

Sanjana Namdev
Update: 2022-11-19 11:30 GMT
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डिजिटल डेस्क कटनी।  जीएसटी की टीम को गुटखा किंग कहे जाने वाले व्यापारी आखिर चकमा देने में सफल रहा। ट्रांसपोर्टर ने चालान के माध्यम से जुर्माने की राशि तो जमा कर दी, लेकिन व्यापारी का नाम अंतिम समय तक नहीं बताया। गौरतलब है कि जिले में यह कारोबार अर्से से हो रहा है। जिसमें गुटखा का व्यापार कच्चे बिलों पर ही किया जाता है। जिस चर्चित व्यापारी का नाम लिया जा रहा है, इसके  पहले भी कई बार वह चर्चाओं में आ चुका है। इसके बावजूद फिलहाल टीम को किसी तरह की सफलता नहीं मिली है। यह बात अलग है कि कुछ माह पहले जबलपुर की टीम ने घंटाघर स्थित एक पान मसाला कारोबारी के यहां दबिश दी थी। दो से तीन दिन की चली जांच में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं। जिसके बाद लाखों का जुर्माना उक्त व्यापारी पर लगाया गया था।

ट्रांसपोर्टरों के यहां पसरा सन्नाटा

जीएसटी की कार्रवाई के बाद ट्रांसपोर्टरों के यहां सन्नाटा दिखाई दे रहा है। तीन दिन पहले तक जहां परिवहनकर्ताओं के यहां पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगती थीं, अब नजारा जरा हटकर दिखाई दे रहा है। अचानक से टीम दबिश न देने पाए इसके लिए अब गुटखा व्यापारी भी फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह एक निरंतर कार्रवाई है। आगामी समय में भी इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी। यदि टेक्स चोरी के मामले में किसी व्यापारी का नाम आता है तो उसके विरूद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। विभाग पूरी तरह से गंभीर होकर ही काम करता है।

थोक का जिले से व्यापक पैमाने पर कारोबार

जिले से थोक का व्यापक पैमाने पर कारोबार होता है। यहां तक कि विंध्य, बुंदेलखंड क्षेत्र के अलावा छत्तीसगढ़ के व्यापारी भी कटनी से ही सामग्र उठाकर अपने-अपने क्षेत्रों में बिक्री करते हैं। कटनी से शहडोल, अनूपपुर, व्यौहारी, सिंगरौली तक कारोबार फैला हुआ है। गुटखा कारोबार में तो जीएसटी की टीम कार्रवाई कर चुकी है, जानकारों ने बताया कि इसी तरह की गड़बड़ीअन्य सेक्टरों में भी हो रही है। एक तरफ जहां शहर के प्रमुख उद्योगपतियों और व्यापारी कर चुकाकर कटनी का नाम प्रदेश स्तर पर ऊंचा करने का काम करते हैं। वहीं दूसरी तरफ इसमें कुछ व्यापारी ऐसे हैं जिनकी वजह से कटनी का नाम अन्य जगहों में भी खराब होता है। मालुम हो कि कोरोनाकाल में जर्बदस्त मुनाफाखोरी इस कारोबार में की गई है। प्रशासन ने एहतियात सुरक्षा मार्केटबंद रखा था। गुपचुप तरीके से 20 रुपए का पाऊच 50 रुपए तक में बिकने की चर्चाएं सरगर्म रहीं। ब्लैक मार्केट जोरों पर चला। खपत और बिलिंग के उस दरम्यान के रिकार्ड खंगाले जाएं तो और भी मामले उजागर हो सकते हैं। बिकवाली जमकर हुई। लिहाजा सरकार को मिलने वाला कर कम खपत में दर्शाया गया।

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