Myth : हर कुंभ के बाद बदल जाता है राजा, शिवराज सिंह भी हुए शिकार

Myth : हर कुंभ के बाद बदल जाता है राजा, शिवराज सिंह भी हुए शिकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-13 14:10 GMT
Myth : हर कुंभ के बाद बदल जाता है राजा, शिवराज सिंह भी हुए शिकार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी हो गई है। इस चुनाव में 15 साल बाद कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज कर सरकार बना ली है। इस चुनाव में शिवराज की हार से एक बार फिर वही मिथ सामने आ रहा है, जिसका शिकार अब से पहले कई और भी सीएम हुए हैं। यह मिथ उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ (कुंभ) से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि जो भी सीएम सिंहस्थ करवाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। उमा भारती का नाम भी इन सीएम की लिस्ट में है। कहा यह भी जाता है कि सिंहस्थ के समय मध्य प्रदेश में बीजेपी ही सत्ता में रहती है।

सिंहस्थ 2016 में शिवराज ने खर्च किए 5 हजार करोड़
उज्जैन में पिछला सिंहस्थ 2016 में सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में ही हुआ था। कुंभ पर सरकार ने पांच हजार करोड़ से भी ज्यादा की रकम खर्च की थी। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन गए थे। इस कुंभ में शिवराज ने अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ मिलकर कुम्भ में साधु-संतों की खूब सेवा की थी। मगर इन सबके इतर इस कुंभ में शिवराज सरकार पर भी भ्रष्टाचार के खूब आरोप लगे। अब लोग कह रहे हैं कि कुंभ में भ्रष्टाचार के चलते महाकाल की नाराजगी का शिकार हुए हैं सीएम शिवराज और उनकी कुर्सी चली गई। 

सरकार बनी मगर उमा की कुर्सी चली गई
2004 में सिंहस्थ का आयोजन हुआ। तब मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी और सीएम उमा भारती थीं। उमा ने 2003 चुनाव में पूर्व कांग्रेसी सीएम दिग्विजय सिंह को बुरी तरह हराते हुए सीएम की गद्दी संभाली थी। 2004 में उमा ने सिंहस्थ का सफल आयोजन करवाया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। तब बीजेपी तो सत्ता में बनी रही, लेकिन उमा की कुर्सी चली गई।

सुंदरलाल पटवा भी नहीं बच पाए
उज्जैन में एक सिंहस्थ साल 1992 में भी आयोजित हुआ था। उस समय प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी। सिंहस्थ के कुछ महीने बाद अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद पटवा सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।

जनता पार्टी भी नहीं बचा पाई थी सरकार
1980 में सिंहस्थ के समय जनता पार्टी की सरकार थी। उस समय भी उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन किया। इसके बाद ये सरकार भी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी और राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही गिर गई। फिर करीब तीन महीने बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने अर्जुन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।

पिछले चार सिंहस्थ का हाल....

  • 1980 में सिंहस्थ के समय जनता सरकार थी, वह भी बाद में गिर गई थी।
  • 1992 का सिंहस्थ सुंदरलाल पटवा की सरकार के समय हुआ था। सिंहस्थ के कुछ महीने बाद अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद पटवा सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।
  • 2004 में जब दोबारा सिंहस्थ का आयोजन हुआ तब प्रदेश में उमा भारती की सरकार थी। उस समय उमा की सरकार नहीं गिरी, लेकिन उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।
  •  2016 के सिंहस्थ के समय भी प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार थी और शिवराज मुख्यमंत्री थे। मगर अब चुनाव में हार के साथ उनकी कुर्सी भी चली गई।
     

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