अब नगरीय निकाय 20 प्रतिशत से अधिक मनोरंजन कर नहीं लगा पाएंगे

अब नगरीय निकाय 20 प्रतिशत से अधिक मनोरंजन कर नहीं लगा पाएंगे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-15 16:43 GMT
अब नगरीय निकाय 20 प्रतिशत से अधिक मनोरंजन कर नहीं लगा पाएंगे
हाईलाइट
  • अब अपने क्षेत्र में सिनेमा हाल मनोरंजन कर लगा सकेंगी।
  • इन नियमों को मप्र नगरपालिका मनोरंजन एवं आमोद कर नियम 2018 नाम दिया गया है।
  • यह मनोरंजन कर कुल टर्न ओवर का बीस प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकेगा।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में स्थित 386 नगरीय निकाय, जिनमें 16 नगर निगम, 98 नगर पालिकायें एवं 272 नगर परिषदें शामिल हैं, अब अपने क्षेत्र में सिनेमा हाल, केबल आपरेटर्स, डीटीएच सेवा प्रदाता, टेलीकाम आपरेटर्स और ऐसी प्रदर्शनी-मनोविनोद-खेल-क्रीड़ा जिनमें व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाता है, पर मनोरंजन कर लगा सकेंगी, लेकिन यह मनोरंजन कर कुल टर्न ओवर का बीस प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकेगा। इसके लिये राज्य सरकार ने नियम जारी कर उन्हें प्रभावशील कर दिया है। इन नियमों को मप्र नगरपालिका मनोरंजन एवं आमोद कर नियम 2018 नाम दिया गया है।

बता दें कि राज्य सरकार ने नगरीय निकायों की आय बढ़ाने और केंद्र/राज्य सरकार के अनुदान पर निर्भरता कम करने के लिये गत 3 मई,2018 को मप्र नगरपालिका विधि द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2018 जारी किया गया था। यह अध्यादेश सिर्फ छह माह तक ही प्रभावी रह सकता था। इसलिये राज्य सरकार ने विधानसभा के वर्षाकालीन सत्र में इसे विधेयक के रुप में पेश किया जो 25 जून,2018 को पारित हो गया। अब राज्य सरकार ने इसके नियम बना दिये हैं, जिससे इस पर अब नगरीय निकाय अमल करने के लिये सशक्त हो गये हैं।

कराना होगा एक माह में रजिस्ट्रेशन
अब सभी नगरीय निकायों में मनोरंजन एवं आमोद प्रदान करने वाले व्यक्तियों को तीस दिनों के अंदर संबंधित नगरीय निकाय के कार्यालय में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नगरीय निकायों में मनोरंजन एवं आमोद प्रदान करने वाले जिस व्यक्ति का टर्न ओर गये साल 50 हजार रुपये से अधिक है, उस पर ही यह कर लगेगा। लेकिन प्रदर्शनी, सर्कस, संगीत कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताओं, स्टेज प्रस्तुतीकरण और इसी भांति के किसी स्थानीय क्षेत्र में मनोरंजन या आमोद उपलब्ध कराने के व्यवसाय पर टर्न ओवर के स्थान पर व्यवसाय प्रारंभ करने की तारीख से कर लगाया जा सकेगा तथा इन पर संबंधित नगरीय निकाय की परिषद अपने हिसाब से कर की दर तय कर सकेगी। राज्य सरकार को नियमों में अधिकार दिया गया है कि वह मनोरंजन एवं आमोद प्रदान करने वाले किसी व्यक्ति को इस कर के भुगतान से छूट प्रदान कर सके।

कर का भुगतान ऐसे होगा
नियमों में कर के भुगतान की व्यवस्था भी दी गई है। यह चालान द्वारा नगरीय निकाय के खाते में जमा की जा सकेगी या इंटरनेट के माध्यम से भुगतान की जायेगी जिसकी ई-रसीद मिलेगी। जो रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति सामान्यत: 15 हजार रुपये प्रति तिमाही या 60 हजार रुपये प्रतिवर्ष या अधिक कर के भुगतान का दायी है, वह तिमाही के प्रथम और द्वितीय माह के लिये कर माह के अवसान के दस दिन के भीतर भुगतान करेगा और कर की शेष रकम को उस तिमाही की विवरणी फाइल करने की अंतिम तारीख पर या उससे पूर्व भुगतान करेगा।

अपील की व्यवस्था
नियमों में नगरीय निकाय के किसी आदेश से व्यथित होने पर रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति नगर पालिका एवं नगर परिषद  के मामले में सिविल जज के समक्ष तथा नगर निगम की दशा में जिला न्यायालय में अपील कर सकेगा। यह अपील तभी की जा सकेगी जबकि व्यक्ति पर अतिशेष कर में से ग्राह्य गई रकम और शेष रकम का 25 प्रतिशत जमा किया जायेगा।

नगरीय प्रशासन संचालनालय, भोपाल के अपर आयुक्त विकास मिश्रा  ने मामले में कहा, ‘जीएसटी लागू होने से वर्ष 2011 में बना मप्र विलासिता, मनोरंजन, आमोद एवं विज्ञापन कर अधिनियम निष्प्रभावी हो गया है। नगरीय निकायों को आर्थिक रुप से स्वावलम्बी बनाने के लिये उनकी स्वयं के आय के स्रोत जनरेट करने के लिये उन्हें यह कर लगाने का अधिकार प्रदान किया गया है। रजिस्ट्रेशन एवं कर का भुगतान आनलाईन हो सके, इसके लिये साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। फिलहाल तो नगरीय निकाय के कार्यालय में जाकर मेनुअली ही रजिस्ट्रेशन कराना होगा।’

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