यूपी विधानसभा में यूपीकोका बिल पेश , जानिए UPCOCA के बारे में

यूपी विधानसभा में यूपीकोका बिल पेश , जानिए UPCOCA के बारे में

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-27 07:35 GMT
यूपी विधानसभा में यूपीकोका बिल पेश , जानिए UPCOCA के बारे में

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य की सत्ता में आने के बाद से ही अपराध पर नकेल कसने की कोशिश करती रही है। इसी ओर बड़ा कदम उठाते हुए यूपी सरकार ने यूपीकोका बिल को पास कराने में लगी हुई है। माना जा रहा है कि इस कानून के लागू होते ही यूपी में अपराध और आपराधिक घटनाओं में काफी कमी आएगी।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बार फिर मंगलवार को यूपीकोका बिल को विधानसभा में पेश किया है। यूपीकोका बिल को लगभग चार महीने के बाद दूसरी बार विधानसभा में पेश किया गया है। हालांकि इससे पहले भी बिल विधानसभा से हो चुका था, लेकिन विधान परिषद में सरकार के पास बहुमत न होने के चलते पास नहीं हुआ था।

विपक्ष ने जताई थी आपत्ति 


संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) बिल 21 दिसंबर को विधानसभा से पास हो गया था।विधानमण्डल के निचले सदन से पारित होने के बाद इस विधेयक को विधान परिषद में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों की वजह से इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। वहां से लौटाने के बाद इस पर सरकार का विचार प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण 13 मार्च को गिर गया। जिसके बाद अब फिर से इस बिल को विधानसभा में पेश किया जा रहा है।

अब भी विपक्ष कानून का विरोध कर रहा है


इस विधेयक का विपक्ष अब भी कड़ा विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि विधेयक के लागू होने के बाद इसका दुरुपयोग अल्पसंख्यकों, गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ हो सकता है। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए इस बिल को पास  कराना चाहती है।

सपा के नेता राम गोविंद चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि ये बिल खास तौर पर अल्पसंख्यकों को डराने के लिए है। मुसलमान पोलिंग करने न जाएं इसलिए यूपीकोका लाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस और बीएसपाी ने भी इस बिल के विरोध में कहा था कि इस कानून का इस्तेमाल जनता की समस्याओं को लेकर सड़कों पर उतरने वाले लोगों पर किया जाएगा।

जानिए यूपीकोका कानून के बारे में


यूपीकोका कानून महाराष्ट्र के मकोका कानून के जैसा है। मुंबई जैसे शहर में अंडरवर्ल्ड के आतंक से निपटने के लिए 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने मकोका कानून बनाया था। यूपीकोका कानून के तहत जबरन वसूली, अपहरण, मर्डर या हत्या की कोशिश और दूसरे संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। इस कानून की श्रेणी में आने वाले अपराध के मामलों को जल्द से जल्द को निपटाने के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालय का गठन करेंगी।

कानून के गलत इस्तेमाल से बचने के लिए पहले ऐसे मामलों की जांच कमिश्नर और आईजी लेवल के अधिकारी करेंगे। बड़े स्तर के पुलिस अधिकारियो से स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस आरोपी के खिलाफ इस कानून के तहत केस दर्ज कर सकती है। अपराधियों की संपत्ति राज्य सरकार जब्त कर सकेगी लेकिन ये कोर्ट की अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा। इस विधेयक के लागू होने के बाद संगठित अपराध करने वाले किसी भी अपराधी को सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी।

"यूपीकोका में सजा"


इस विधेयक में संगठित अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है। संगठित अपराध से किसी व्यक्ति की मौत होती है तो मृत्युदंड या आजीवन कारावास की व्यवस्था है। साथ ही कम से कम 25 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है। किसी अन्य मामले में न्यूनतम 7 साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है और कम से कम 15 लाख रुपये का अर्थदंड भी प्रस्तावित है। विधेयक में संगठित अपराध के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए विशेष अदालत के गठन का प्रावधान भी है।

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