वैक्सीन फर्जीवाड़ा: बोरीवली के कॉलेज ने की पुलिस से शिकायत

वैक्सीन फर्जीवाड़ा: बोरीवली के कॉलेज ने की पुलिस से शिकायत

Anita Peddulwar
Update: 2021-06-19 12:38 GMT
वैक्सीन फर्जीवाड़ा: बोरीवली के कॉलेज ने की पुलिस से शिकायत

डिजिटल डेस्क,मुंबई। कांदिवली की हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी के बाद महानगर के बोरिवली इलाके में स्थित आदित्य कॉलेज में भी लोगों को फर्जी वैक्सीन लगाए जाने का संदेह है। यहां 3 जून को एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ने टीकाकरण मुहिम का आयोजन किया था। खुद को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल का मुख्य मैनेजर (सेल्स) बताने वाले राजेश पांडे नाम के व्यक्ति ने कॉलेज प्रबंधन से संपर्क कर दावा किया था कि अस्पताल की ओर से ही जरूरी मंजूरी लेने और टीकाकरण की व्यवस्था की जाएगी। सभी कानूनी औपचारिकताओं की पूर्ति अस्पताल की ओर से की जाएगी कॉलेज के सिर्फ टीके के पैसे देने होंगे।

कोविन ऐप पर 18 से 44 वर्षी तक की आयु को टीके मिलने में हो रही परेशानी को देखते हुए कॉलेज के ट्रस्टी ने विद्यार्थियों, स्टॉफ के सदस्यों और इनके परिवार वालों के लिए टीकाकरण कैंप को मंजूरी दे दी। इस दौरान कॉलेज के ट्रस्टी और प्रबंधन से जुड़े दूसरे लोगों का भी टीकाकरण हुआ। कॉलेज प्रबंधन ने जब पाया कि वहां टीकाकरण अभियान चलाने वालों ने ही कांदिवली के हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी में भी टीकाकरण के लिए कैंप लगाया था जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो कॉलेज को भी  फर्जीवाडे का शक हुआ क्योंकि वहां के लोगों को भी प्रमाणपत्र मिलने में परेशानी हुई थी। इसके बाद मामले की शिकायत पुलिस से की गई है। पुलिस पहले ही साफ कर चूकी है कि आरोपियों ने बिना मंजूरी के नौ जगहों पर लोगों का टीकाकरण किया है। मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

गैरकानूनी था टीकाकरण-बीएमसी
हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी में फर्जी टीके लगाने के मामले में मुंबई महानगर पालिका ने अपनी प्राथमिक जांच के बाद इसे गैरकानूनी करार दिया है। जांच में साफ हुआ है कि टीके का कैंप लगाने के लिए मुंबई महानगर पालिका से जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी। यही नहीं आरोपी जिस अस्पताल की ओर से टीका लगाने का दावा कर रहे थे उससे भी उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था। उपायुक्त विश्वास शंकरवार ने महानगर पालिका प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसमें कहा गया है कि यहां कुल 390 लोगों ने टीके लगवाया जिनमें से 120 को ही प्रमाणपत्र मिले। यह प्रमाणपत्र भी किसी और अस्पताल के नाम पर और किसी और समय पर टीके लगाने की जानकारी वाले थे। यहां टीकाकरण के दौरान लैपटॉप तक नहीं था। लगाए गए टीके अवैध तरीके से हासिल किए गए थे और यूजर आईडी व पासवर्ड चोरी कर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किए गए थे।

 
 

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