इस गांव में नहीं पहुंचा कभी कोई नेता, सड़क न होना सबसे बड़ी समस्या

इस गांव में नहीं पहुंचा कभी कोई नेता, सड़क न होना सबसे बड़ी समस्या

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-27 13:41 GMT
इस गांव में नहीं पहुंचा कभी कोई नेता, सड़क न होना सबसे बड़ी समस्या

डिजिटल डेस्क करेली। समीपस्थ ग्राम पंचायत नयाखेड़ा के ग्राम बिनैकी तक पहुंच मार्ग न होने से चुनाव प्रचार प्रसार के लिए एक भी प्रत्याशी इस गांव तक नहीं पहुंचा है । जहां एक ओर इस विधानसभा चुनावी दंगल में जहां प्रत्याशी हर गांव घर-घर दस्तक दे रहे है और मतदाताओं से वोट लेने के लिए वादों सुनहरे सपने भी दिखाते जा रहे है फिर भी यहां तक एक भी प्रत्याशी का न पहुंचनआश्चर्यजनक माना जा रहा है । यह गांव नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है यहां  कुल 11 प्रत्याषी चुनावी जंग में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

नहीं पहंचे कोई भी प्रत्याशी
नयाखेडा ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले आदिवासी बहुल्य पर्वतीय और जंगल से घिरा गांव सड़क अभाव का दंश पिछले 7 दशक से झेल रहा है । ग्राम के पंच भागचंद्र धुर्वे, गनेश ठाकुर, नौनेशा ठाकुर, किशनलाल ठाकुर, गेंदालाल ठाकुर, फूलसिंह ठाकुर ने बताया कि सड़क अभाव को लेकर पूर्व में रोड नही तो वोट नही के लिए मन बना चुके थे परन्तु प्रशासन के मान मनौअल और मतदान के लिए जागरुकता के बाद ग्रामीण वोट करने राजी हो गये।  इस गांव में 39 पुरुष और 42 महिला कुल 81 मतदाता हैं । इस गांव के मतदाता दिल्हेरी बूथ क्रमांक 251 में मतदान करने पहुचते हैं । बिनोकी से दिल्हेरी की दूरी करीब 10-12 किलोमीटर है।

सड़क का अभाव बड़ी परेशानी
ग्राम की महिला वोटरों में छोटीबाई, ग्यारबती बाई, रामबाई, मनोवती बाई का कहना है कि हम लोगों को स्वास्थ्य आवश्यक जरुरतों के लिए जंगली रास्तों और नदी पार करके आना जाना पड़ता है । सड़क न होने से जब चुनाव में खड़े प्रत्याशियों को एक दिन आने जाने में परेशानी होती है तो समझा जा सकता है कि हम लोग कैसे अपना जीवन जी रहे है। बरसात के दिनों और अंधेरी रातों में जंगल का रास्ता जान जोखिम से भरा रहता है। इसके लिए प्रशासन और शासन को जागरुकता दिखानी होगी।

पता ही नही कितने प्रत्याशी मैदान में
यह गांव नरसिंहपुर जिले का आखिरी गांव है ।  इसके बाद शक्कर नदी के दूसरी ओर छिंदवाडा जिला लग जाता है इस गांव में सरकारी भवन के नाम पर एक प्राथमिक स्कूलभवन है ग्रामीणों का कहना है यहां चुनाव प्रचार प्रसार के साथ हार और जीतने के बाद भी कोई राजनेता नहीं आता है।  घोडों और खच्चरों के अलावा पैदल आना जाना ही विकल्प है, दूसरा रास्ता शक्कर नदी पार कर छिंदवाडा जिले की हर्रई तहसील होकर आता है जो काफी लम्बा होने से खर्चीला भी है। वहीं ग्राम के ज्यादातर लोगों को पता ही नही की कितने लोग चुनाव लड़ रहे है और कौन- कौन प्रत्याशी चुनावी दंगल मे शामिल हंै।

 

 

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