बिरसिंहपुर पाली जनपद के पहाड़ी क्षेत्र में पेयजल के लिए जूझ रहे हैं लोग

बिरसिंहपुर पाली जनपद के पहाड़ी क्षेत्र में पेयजल के लिए जूझ रहे हैं लोग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-23 18:26 GMT
बिरसिंहपुर पाली जनपद के पहाड़ी क्षेत्र में पेयजल के लिए जूझ रहे हैं लोग

डिजिटल डेस्क, उमरिया। गर्मी के तेवर बढ़ते ही बिरसिंहपुर पाली जनपद के जंगली व पहाड़ी इलाके में जल संकट की स्थिति निर्मित हो चुकी है। यही हाल करकेली व पाली के डिण्डौरी से लगे गांव आकाशकोट में है। यहां लोग सायकल और सिर पर बर्तन लेकर कोसों दूर नदी, नालों में गड्ढे कर दैनिक उपयोग के जल ला रहे हैं। अप्रैल में लगातार घटता जल स्तर भयंकर संकट का संकेत दे रहा है। दूसरी ओर जिम्मेदार विभाग की तैयारी महज कागजी प्रतीत हो रही है।


घुनघुटी में सूख गई नदी
घुनघुटी ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के साथ ही मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए बसाड़ नदी बड़ा सहारा थी। नदी का जल मार्च के अंतिम सप्ताह में खत्म हो गया। यही हाल गांव के तमरहाहार नाले का है। यहां भी बीच धार में केवल रेत दिखाई दे रही है। प्राकृतिक स्त्रोत के सूखने से खटकीटोला, पतनार खुर्द, राजा पटरा बस्तियों में पेय स्त्रोत का संकट उभर चुका है। गांव की आबादी हैण्डपंप व कुएं के भरोसे हैं, जिनका जल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है।


कबाड़ खड़े हैं टैंकर
शहडोल जिले की सीमा से लगे इन गांव में जहां पेयजल का संकट है। वहीं पंचायत व पीएचई तैयारी आधी अधूरी दिख रही है। बताया गया है कि गांव में तकरीबन आठ टैंकर विधायक मद से प्रदान किए गए थे। वर्तमान में ज्यादातर टैंकर कबाड़ हो रहे हैं। उचित रखरखाव के अभाव में ज्यादातर में लीकेज की समस्या है। यही नहीं पंचायत का एक टैंकर अज्ञात व्यक्ति द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिसका आज भी सुधार नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि घुनघुटी से दो किलोमीटर दूर गांधी ग्राम के भुमियान टोला में हर साल इन्ही टैंकरों से पेयजल आपूर्ति होती है। तकरीबन 35-40 घरों में दो सौ से अधिक की बैगां बस्ती है।


प्रमुख सचिव के जाते ही बेअसर आदेश
आकाशकोट एरिया के 25 गांव में हर साल मार्च में ही जल स्तर घट जाता है। शहडोल दौरे पर आए प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल ने शहडोल संभाग में राजेन्द्रग्राम के साथ आकाशकोट को संवेदनशील पेयजल वाला क्षेत्र माना था। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग को यहां बारीक नजर बनाए रखने के निर्देश भी दिए थे। बावजूद इसके डेढ़ दर्जन गांव में जल परिवहन की स्थिति शुरु हो चुकी है। माली, पठारीकला, मजमानीकला, ग्राम जंगेला, बाजाकुण्ड, तुम्मादर, माली और धवईझर में लोग नदी, तालाब में गड्ढे गोदकर प्यास बुझा रहे हैं।


जिला पंचायत उमरिया के सीईओ नवीत धुर्वे का कहना है कि गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए हम लगातार समीक्षा कर रहे हैं। शिकायत अनुसार जल परिवहन की तैयारी है। आकाशकोट व पाली में डिमाण्ड के बाद ही टैंकर भेजे जाएंगे।

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