प. बंगाल : BJP कार्यकर्ता की हत्या के मामले में TMC नेता का बेटा गिरफ्तार

प. बंगाल : BJP कार्यकर्ता की हत्या के मामले में TMC नेता का बेटा गिरफ्तार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-15 11:59 GMT
प. बंगाल : BJP कार्यकर्ता की हत्या के मामले में TMC नेता का बेटा गिरफ्तार
हाईलाइट
  • 30 मई को 18 वर्षीय त्रिलोचन महतो का शव एक पेड़ से लटका मिला था।
  • पंचायत चुनाव में हार का बदला लेने के लिए की गई थी हत्या
  • बीजेपी कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या के मामले में CID ने TMC नेता के बेटे को गिरफ्तार किया।

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की हत्या के मामले में CID ने TMC नेता के बेटे को गिरफ्तार किया है। 30 मई को हुए इस हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम संदीप महतो है। संदीप, तृणमूल कांग्रेस नेता सृष्टि धार महतो का बेटा है। संदीप की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में अब तक कुल 3 लोगों की गिरफ्तारी हो गई है।

गौरतलब है कि पुरुलिया जिले में बलरामपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुदीगोला जंगल में 30 मई को 18 वर्षीय त्रिलोचन महतो का शव एक पेड़ से लटका मिला था। त्रिलोचन के शव के पास एक पत्र भी मिला था, जिसमें बांग्ला भाषा में लिखा था, "तुम इतनी छोटी उम्र में बीजेपी के लिए काम कर रहे हो। हम पंचायत चुनाव के दौरान ही तुम्हें मारना चाहते थे और आज हमने तुम्हें मार दिया।" बता दें कि त्रिलोचन बलरामपुर ब्लॉक के बीजेपी नेता पानो महतो का बेटा था। इस साल हुए पंचायत चुनाव में बलरामपुर ब्लॉक की सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।

त्रिलोचल महतो की हत्या के तीन दिन बाद ही पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक और बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या हुई थी। बलरामपुर के दाभा गांव में यह वारदात हुई थी। यहां एक बिजली के खंभे पर 32 साल के बीजेपी कार्यकर्ता दुलाल कुमार का शव लटका मिला था। बीजेपी ने इस हत्या के पीछे भी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का हाथ बताया था। इस मामले की जांच भी CID कर रही है।

बता दें कि मई में पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हुए थे। इस दौरान राज्य में जमकर हिंसा हुई थी। चुनाव के दौरान कई लोगों की हत्याएं हुई थी। चुनाव के बाद भी यह जारी रहीं। इन चुनावों में करीब 34 प्रतिशत सीटों पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। इन सीटों पर विपक्षी दल अपने प्रत्याशी ही नहीं उतार पाए थे। विपक्षी दलों का आरोप था कि सत्तारूढ़ दलों के आतंक व हमले की वजह से प्रत्याशी नामांकन नहीं कर पाए। 

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