गणेश उत्सव की धूम : ढोल-ताशों के साथ तलवारें चलाती महिलाएं बनी आकर्षण का केंद्र

गणेश उत्सव की धूम : ढोल-ताशों के साथ तलवारें चलाती महिलाएं बनी आकर्षण का केंद्र

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-21 07:34 GMT
गणेश उत्सव की धूम : ढोल-ताशों के साथ तलवारें चलाती महिलाएं बनी आकर्षण का केंद्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में इन दिनों गणेशोत्सव की धूम मची हुई है। गणेशोत्सव के दौरान आयोजित कार्यक्रमों में सिर पर फेटा बांधे ढोल-ताशे की थाप पर प्रोग्राम देती महिलाएं आकर्षण का केन्द्र बनीं हुईं हैं।  सिर पर फेटा, हाथ में ढोल और पारंपरिक परिधान नव्वारी के साथ नथ पहनी महिलाएं अपनी ढोल-ताशे की परफॉर्मेंस से सभी को मोहित कर देती हैं। उनकी धमाकेदार प्रस्तुति देखकर हर किसी की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। शहर में गणेशोत्सव जोरदार तरीके से मनाया जाता है। यहां बड़ी गणेश प्रतिमाएं और लाखों भक्तों की भीड़ जमा होती है। सैकड़ों की संख्या में महिलाएं  ढोल-ताशा और बरछी लिए अपनी प्रस्तुति देती हैं। शहर में एेसे कई ग्रुप्स हैं, जिनमें अधिकांश लड़कियां और महिलाएं शामिल हैं। पहले महिलाएं सिर्फ ढोल-ताशा में ही थीं, लेकिन अब शिवकालीन शस्त्र जैसे दाण पट्टा, लाठी-काठी और तलवार से भी अपना करतब दिखा रही हैं। इनके हुनर को सिर्फ शहर में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी पसंद किया जाता है। 

तीन माह लगातार प्रैक्टिस
ढोल-ताशा पथक की प्रैक्टिस जून से सितंबर तक होती है, जिनमें त्योहार के लिए उन्हें ढोल-ताशा, दाण-पट्टा, लाठी-काठी और तलवारबाजी भी सिखाई जाती है। हमारे पथक में 13 वर्ष की बालिका से लेकर 55 वर्ष तक की महिला भी शामिल हैं। शहर में लगभग 22 से अधिक ढोल-ताशा पथक हैं, जिनमें हमारे ग्रुप शिव मुद्रा ढोल में 90 महिलाएं हैं। गणेशोत्सव में निकलने वाली इन महिलाओं द्वारा पूरी मेहनत के साथ प्रैक्टिस की जाती है। बॉयज से भी ज्यादा गर्ल्स और महिलाएं मेहनत करती हैं। साथ ही  सभी महिलाओं की एक जैसी वेशभूषा और उनका अनुशासन सबको भाता है। ढोल-ताशा के अलावा तलवारबाजी की प्रैक्टिस भी कराई जाती है, जिसमें अधिक संख्या में महिलाएं होती हैं।
जयंत बैतुले, प्रमुख शिव ढोल-ताशा पथक 

पुरुषों से अधिक मेहनती होती हैं महिलाएं
महिलाओं की प्रकृति पुरुषों के मुकाबले कमजोर होती है, उसके बाद भी वे पुरुषों से ज्यादा मेहनत करती हैं। ढोल-ताशा पथक में महिलाएं न सिर्फ भारी-भरकम ढोल कंधों पर उठाती हैं, बल्कि उनकी तलवारबाजी काबिले तारीफ होती है। अब महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे हैं। शहर में सबसे पहले हमारे ग्रुप शिव मुद्रा ढोल पथक में 2012-13 में महिलाएं शामिल हुई थीं। तब से लेकर आज तक महिलाएं हर गणेशोत्सव में अपना हुनर दिखाती हैं। हमारे ग्रुप का ड्रेस कोड सलवार-कुर्ता, जैकेट और फेटा है। महिलाओं के ड्रेस भी उनकी कम्फर्ट के हिसाब से तय किया गया है। भारी भरकम ढोल उठाते समय उन्हें तकलीफ न हो, इसलिए सिम्पल ड्रेस का चुनावा किया गया है। -अपूर्वा माटेगांवकर, महिला प्रमुख शिव ढोल-ताशा पथक
 

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