वर्क-टू-रूल आंदोलन : आंदोलन को लेकर कर रहे जागरूक, मांग पूरी नहीं हुई तो रेल रोको आंदोलन

वर्क-टू-रूल आंदोलन : आंदोलन को लेकर कर रहे जागरूक, मांग पूरी नहीं हुई तो रेल रोको आंदोलन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-25 12:13 GMT
वर्क-टू-रूल आंदोलन : आंदोलन को लेकर कर रहे जागरूक, मांग पूरी नहीं हुई तो रेल रोको आंदोलन

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। रेलवे में लाखों पद रिक्त है, जिसके कारण कर्मचारियों को तय समय से अधिक कार्य करना पड़ रहा है। आए दिन कर्मचारी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचार वर्क-टू-रूल आंदोलन करने जा रहे हैं, जिसके लिए ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (AIRF) व वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (WCREU) ने कर्मचारियों को आगामी 11 दिसम्बर से वर्क-टू-रूल आंदोलन के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया है। एम्पलाइज यूनियन का कहना है कि यदि कर्मचारियों की लंबित समस्याओं का शीघ्र निराकरण नहीं किया जाता है, तो रेल रोको आंदोलन तक किया जाएगा।

वेस्ट-सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव का कहना है कि AIRF/WCREU द्वारा रेल प्रशासन को अपनी विभिन्न लंबित मांगों को पूर्ण करने के लिए वर्क-टू-रूल आंदोलन का जो अल्टीमेटम दिया है, वह आगमी 10 दिसम्बर को पूर्ण हो रहा है, जिसके बाद 11 दिसम्बर से पूरे देश में रेल कर्मचारी वर्क-टू-रूल आंदोलन शुरू कर देंगे। कर्मचारी तय समय से अधिक काम न कर रेल प्रशासन पर दबाव बनाएंगे। श्री गालव का कहना है कि वर्क टू रूल लागू होने से रेल प्रशासन का काम बुरी तरह से बाधित होगा, क्योंकि तब कर्मचारी तय समय से अधिक काम करने से साफ इनकार कर देंगे।

श्री गालव ने बताया कि रेलवे में लाखों पद रिक्त हैं। इस कारण कर्मचारियों को निर्धारित समय से ज्यादा काम करना पड़ता है। इसके बावजूद न तो उन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं और न अन्य मांगें पूरी की जा रही हैं। सुरक्षित रेल परिचालन के लिए कर्मचारियों की मांगें मानी जानी चाहिए, लेकिन रेल प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है। इसलिए कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि रेल पटरियां जर्जर हो गई हैं, ट्रेन के कोच भी काफी पुराने हो गए हैं। सिग्नल प्रणाली के आधुनिकीकरण की जरूरत है, लेकिन इन कामों के लिए सरकार आम बजट में आवश्यक धन उपलब्ध नहीं करा रही है। रेल उपकरणों, पटरियों व सिग्नल आदि की मरम्मत के लिए सामान की आपूर्ति नहीं की जा रही है।

WCREU के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम से भी वंचित कर दिया गया है। ढाई लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं। इस कारण रेल कर्मचारियों से उन्हें बिना पूर्ण विश्राम दिए लंबी अवधि तथा रेलवे के जो ड्यूटी के मैनुअल (GSR) हैं, उसके विरुद्ध अधिकारी दबाव देकर कार्य कराते रहे हैं, जिसके लिए कर्मचारियों को यूनियन जागरुक कर रही है, वे रेलवे ने ही जो विभिन्न कार्यों के लिए GSR व मैनुअल बनाये  हैं, कर्मचारियों को शब्दश: उसी के मुताबिक काम करना है, उन्हें अधिकारी के किसी तबाव को सहन नहीं करना है, क्योंकि मैनुअल रेलवे ने ही बनाये हैं, इसलिए कर्मचारियों के खिलाफ किसी तरह के अनुशासनात्मक कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता।

उन्होंने बताया कि अपनी विभिन्न लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए रेल प्रशसन पर दबाव बनाने के लिए वर्क-टू-रूल आंदोलन के पहले कर्मचारियों को जागरुक करने का काम पमरे के तीनों रेल मंडलों जबलपुर, भोपाल व कोटा में शुरू कर दिया गया है। यूनियन के जबलपुर मंडल सचिव नवीन लिटोरिया व मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला का कहना है कि यूनियन लगातार कर्मचारियों के बीच में पहुंचकर उन्हें वर्क-टू-रूल आंदोलन के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जागरुक कर रही है, साथ ही सभी ब्रांचों के पदाधिकारी कर्मचारियों के बीच जा रहे हैं, ताकि कर्मचारियों को उनके अधिकार की जानकारी हो औैर अपनी मांगों के समर्थन में नियमों के मुताबिक काम करें। माना जा रहा है कि यदि रेलवे में वर्क-टू-रूल अंदोलन शुरू होता है, तो इससे रेल संचालन पर जबर्दस्त असर पड़ेगा।

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