नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब और हनीफ ही नहीं थे, सजा भुगत रहे हैं कई खूंखार कैदी

नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब और हनीफ ही नहीं थे, सजा भुगत रहे हैं कई खूंखार कैदी

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-12 07:55 GMT
नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब और हनीफ ही नहीं थे, सजा भुगत रहे हैं कई खूंखार कैदी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर सेंट्रल जेल के फांसी यार्ड में आतंकी, जघन्य हत्याकांड व अन्य गतिविधियों से जुड़े शातिर अपराधियों को रखा गया है, जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है, कुछ अपराधियों को फांसी की सजा दी जा चुकी है, कुछ अपराधियों को  फांसी दी जानी है। फांसी की सजा पाने वाले कैदियों में याकूब मेमन भी शामिल है, जिसे नागपुर के सेंट्रल जेल में 30 जुलाई 2015 को फांसी की सजा दी गई थी। उस समय जेल के अधीक्षक योगेश देसाई थे। अब वे नागपुर सेंट्रल जेल के डीआईजी हैं। नागपुर की सेंट्रल जेल के फांसी यार्ड में दो सगी बहनों को भी फांसी दी जानी  है, जो जलगांव की रहने वाली हैं। इन दोनों बहनों को कई बच्चों की हत्या करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। यह दोनों कम उम्र के बच्चों को जमीन पर पटक-पटक कर मारती थीं। उसके बाद उन्हें तड़प-तड़प कर मरते देखती थीं। इस बात में उन्हें आनंद आता था।

हनीफ को सात साल पहले लाए थे
सूत्रों के अनुसार नागपुर की सेंट्रल जेल में सात वर्ष पहले फांसी यार्ड में करीब 32 कैदी बंद थे, इनमें याकूब मेमन भी शामिल था। सेंट्रल जेल के इस फांसी यार्ड में मौजूदा समय में 25 कैदी बंद हैं, जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। करीब तीन से ज्यादा महिलाएं फांसी यार्ड में बंद हैं उनमें एक कैदी फहमिदा भी शामिल है, जो मो. हनीफ की पत्नी है जिसकी दो दिन पहले मृत्यु हो गई।  फहमिदा मुंबई के झवेरी बाजार व गेटवे ऑफ इंडिया परिसर में वर्ष 2003 में हुए बम धमाके की अपराधी है। उसे भी अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। दो दिन पहले नागपुर के सेंट्रल जेल की  कैदी फहमिदा के पति मोहम्मद हनीफ की मौत हो गई। मोहम्मद हनीफ और उसकी पत्नी फहमिदा को नागपुर की सेंट्रल जेल में करीब सात साल पहले येरवड़ा जेल से नागपुर की सेंट्रल जेल में भेजा गया था। 

यहीं दी थी याकूब को फांसी 
नागपुर की सेंट्रल जेल में मोहम्मद हनीफ की तरह कई अपराधियों को फांसी यार्ड में विशेष सुरक्षा की देखरेख में रखा गया है। मोहम्मद हनीफ नागपुर के सेंट्रल जेल के रजिस्ट्रर में कैदी नंबर 8536 था। धंतोली पुलिस की डायरी में मर्ग नंबर 11 के अंतर्गत मोहम्मद हनीफ की आकस्मिक मृत्यु हो जाने का मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि नागपुर के सेंट्रल जेल में बने फांसी घर जिसे अमरधाम कहा जाता है। इस जेल में वर्ष 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम धमाके के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा दी गई थी। 

लाखों रुपए सुरक्षा व्यवस्था पर हो रहे खर्च 
सूत्रों के अनुसार  फांसी यार्ड में रखे गए कैदियों की सुरक्षा पर विशेष निगरानी रखनी पड़ती है। इनकी सुरक्षा व्यवस्था व देखरेख पर लाखों रुपए खर्च होते हैं। इनमें इनके खान-पान से लेकर हर वह बात शामिल है, जिसकी वह जेल प्रशासन से मांग करते हैं। जेल प्रशासन तय नियमों के अनुसार उनकी इन जरूरतों को मान्य करने का प्रयास करता है। नागपुर के फांसी यार्ड में बंद कैदियों की सुरक्षा व्यवस्था में हर पल सशस्त्र सुरक्षा जवानों को गार्ड ड्यूटी में तैनात रखना पड़ता है। हर तीन से चार घंटे की पहरेदारी के बाद जवानों को बदलते रहना पड़ता है, ताकि गार्ड ड्यूटी में तैनात इन जवानों काे पहरेदारी करते समय नींद न आए। इस वार्ड का हर रोज का लेखा जोखा जेल के वरिष्ठ अधिकारी रोजाना लेते हैं। 

चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था 
सेंट्रल जेल के फांसी यार्ड में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजामात रखना पड़ता है। वहां पर इस तरह के इंतजामात रखे गए हैं। सशस्त्र जवानों को यहां पर पहरेदारी में रखा जाता है। इस यार्ड की पहरेदारी करने वाले जवानों को खास मार्गदर्शन दिया जाता है कि कोई भी बात पता चलने पर वह जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करें।  - रानी भोसले, अधीक्षक, सेंट्रल जेल नागपुर

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