शीघ्र नजर आएंगे यलो डस्टबिन

शीघ्र नजर आएंगे यलो डस्टबिन

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-27 07:13 GMT
शीघ्र नजर आएंगे यलो डस्टबिन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में अब यलो डस्टबिन भी नजर आएंगे। स्वच्छता मिशन में शहर के खराब प्रदर्शन के बाद मनपा कचरा प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश में हैं। हालांकि बड़े-बड़े दावों के साथ घाेषित कचरे से बिजली बनाने की योजना पर कुछ खास काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। पिछले दिनों शहर में कनक के सैनिटरी नैपकिन को कचरे के साथ लेने से मना करने संबंधी खबरों के बाद मनपा आयुक्त ने पूरे शहर से सैनिटरी नैपकिन वेस्ट जमा करने का आदेश दे दिया है।

कनक अब संग्रह का काम करेगी और निस्तारण की जिम्मेदारी सुपर्ब हाईजीन डिस्पोजल की होगी। इस संबंध में मनपा सैनिटरी नैपकिन निर्माता कंपनियों से सीएसआर और एक्सटेंडेड प्रोस्ड्यूर रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत शहर में यलो डस्टबिन लगवाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यलो डस्टबिन  आवासीय सोसायटी व महिला हॉस्टल समेत ऐसी जगहों पर जहां बड़ी मात्रा में नैपकिन वेस्ट की संभावना हो, वहां यह विशेष डस्टबिन लगाए जाएंगे।     

17 जुलाई 2018 को हुआ था परियोजना का भूमिपूजन
17 जुलाई 2018 को सुरेश भट सभागृह में केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी तथा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में मनपा के कचरे से बिजली बनाने की परियोजना का भूमिपूजन किया गया था। उस समय दावा किया गया था कि नवीनतम तकनीक पर आधारित यह परियोजना महाराष्ट्र में अपनी तरह की पहली परियोजना होगी।

कचरा प्रक्रिया की व्यवस्था ठप
स्मार्ट सिटी बनने को अग्रसर नागपुर में कचरे के निस्तारण की व्यवस्था पर हुए बैठक में एक साल से ठप है। सोमवार को इस मुद्दे पर मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर और  स्वच्छता मिशन के संबंधित अधिकारियों की बैठक में आठ दिन में इस विषय पर प्रस्ताव पेश किए जाने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि भांडेवाड़ी में कचरे से बिजली उत्पादन का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। 

पूंजी की कमी बनी बाधा
परियोजना के तहत एस्सेल इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के तत्वावधान में नागपुर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड 218.80 करोड़ रुपए का निवेश कर नवीनतम तकनीक से लैस प्लांट स्थापित करने वाली थी। इसके तहत यहां प्रतिदिन 800 टन सघन कचरा प्रोसेस कर बिजली बनाया जाना है। पंूजी की कमी से जूझ रही कंपनी तीन वर्ष में यूनिट तैयार करने का दावा करने के बावजूद अब तक काम शुरू नहीं कर पाई है। उल्लेखनीय है कि नागपुर में रोज लगभग 1100 टन सघन कचरा निकलता है, जिसे भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड परिसर तक पहुचाया जाता है। इस प्लांट में सघन कचरे को प्रोसेसिंग कर 11.5 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाएगा।

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