कितनी तरह के होते हैं ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन जानें यहां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गियरबॉक्स एक गाड़ी और उसके पहियों के बीच की एक कड़ी होती है जो टॉर्क और पावर को अलग-अलग स्पीड लिमिट्स में बदलता है। और आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के बारे में। ऑटोमैटिक गियरबॉक्स की मदद से सिर्फ आपको ड्राइव मोड सिलेक्ट करना होता है। बाकी कार का ऑटोमैटिक गियरबॉक्स खुद ब खुद सबकुछ कर लेता है। मॉडर्न कारों में कई तरह के ऑटोमैटिक गियरबॉक्स होते हैं। और इन्ही गियरबॉक्स के अलग-अलग प्रकारों पर हम बात करने जा रहे हैं।
DSG (डायरेक्ट शिफ्ट गियरबॉक्स)
ये लगभग DCT के समान है टॉर्क कनवर्टर की बजाय दो इस्तेमाल करता है, और इसकी मैकेनिज्म में सिम्पल तौर पर एक क्लच को छोड़कर गियर बदलने के लिए दूसरे को इस्तेमाल करता है। ये ट्रांसमिशन पारंपरिक मॉडल से ज्यादा तेजी से गियर शिफ्टिंग करता है। मॉडर्न DSG यूनिट मैन्युअल गियरबॉक्स से बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करता है। DCT एक ड्राई ट्रांसमिशन है जिसमें ड्राइवर को गियरबॉक्स फ्लूइड को कभी भी बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। ये क्लच को सूखा छोड़ देता है और उसकी फ्रिक्शनल क्वॉलिटी को कम कर देता है। DSG एक ऐसा ट्रांसमिशन है जो क्लच में चिकनाई बनाए रखता है जिसका नतीजा सालों के लिए तेज और स्मूद गियर-शिफ्टिंग परफॉरमेंस होती है।
DCT (ड्यूल-क्लच ट्रांसमिशन)
यह ऑटोमैटिक और मैनुअल ट्रांसमिशन का एक हाइब्रिड प्लेटफॉर्म है। DCT में कोई टॉर्क कनवर्टर नहीं होता है। आप गियर बदलने के लिए दो अलग शाफ्ट का इस्तेमाल करते हैं, दोनों शाफ्ट्स का अपना क्लच होता है। जिसके बलबूते पर पलक झपकते ही गियर शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि DCT गियरबॉक्स शोर मचाने वाले क्लच, घिसने की आवाज और रफ शिफ्ट्स से मुक्त नहीं है।
CVT (कन्टिन्यूसली वेरिएबल ट्रांसमिशन)
CVT पारंपरिक ऑटो ट्रांसमिशन में पाए जाने वाले स्टील गियर के बजाय ये गियरबॉक्स पुली का इस्तेमाल करता है। ये कई गियर रेश्यो की कई रेंज के साथ स्मूद गियर शिफ्टिंग और इंजन को अधिकतम RPM पर घूमने की सुविधा देता है। दो प्रकार के CVT होते हैं। Hydrostatic CVT इंजन को पावर भेजने के लिए हाइड्रोस्टैटिक मोटर और variable-displacement पंप का उपयोग करता है। दूसरी तरफ, Toroidal CVT इस काम के लिए डिस्क और पावर रोलर्स का उपयोग करते हैं। ये ट्रांसमिशन इंजन को बेहतरीन एक्सीलीरेशन के साथ अधिकतम दक्षता पर काम करने की इजाजत देता है। यह ईंधन दक्षता के लिए अच्छा होता है, और इसकी रिपेयरिंग और मेंटेनेंस भी महंगी नहीं होतीं हैं। बलेनो, माइक्रा, जैज में इसी गियरबॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है।
AMT नाम से जाना जाने वाला ये ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन, नियमित क्लच और गियर सेटअप का उपयोग करता है लेकिन सेंसर, एक्ट्यूएटर, प्रोसेसर और न्यूमेटिक्स के इस्तेमाल से गियर बदलने का काम ऑटोमैटिकली करता है। इस ट्रांसमिशन की कारें हाईवे पर बेहतर परफॉरमेंस देती है।
TCT स्टैंडर्ड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन है जो आजकल ज्यादातर कारों में पाया जाता है। मैन्युअल गियरबॉक्स के उल्ट, ये गियर्स बदलने के लिए क्लच का उपयोग नहीं करता है। इसके बजाए, एक हाइड्रोलिक फ्लूइड कपलिंग या टॉर्क कनवर्टर ये काम करता है। ये इंजन के Electronic Control Unit से जुड़कर वाहन के सटीक नियंत्रण की अनुमति देता है। ऑटोमैटिक कार्स स्मूथ तरीके से परफॉर्म करती हैं, लेकिन गियर की शिफ्टिंग हर बार तेज नहीं होती है, जिस के कारण इन्हें ‘स्लैशबॉक्स’ भी कहा जाता है।
Created On :   9 Aug 2018 10:32 AM IST