Jabalpur News: छिंदवाड़ा कांड के बाद जब्त दवाओं के सैंपल रखने की जगह नहीं, एक कमरे में चल रहा औषधि विभाग

छिंदवाड़ा कांड के बाद जब्त दवाओं के सैंपल रखने की जगह नहीं, एक कमरे में चल रहा औषधि विभाग
तीन औषधि निरीक्षकों के भरोसे जिला, जरूरी स्टाफ तक नहीं, ढाई हजार दुकानों की जांच का जिम्मा

Jabalpur News: छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के बाद जिले में बीते कुछ दिनों से खाद्य एवं औषधि प्रशासन की सक्रियता बढ़ गई है। औषधि निरीक्षकों द्वारा दवा दुकानों की जांच की जा रही है। इस बीच हम औषधि विभाग के जिला अस्पताल स्थित दफ्तर पहुंचे तो पता चला जिस विभाग के पास जिले की ढाई हजार दवा दुकानों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी है, उस विभाग के पास खुद का दफ्तर तक नहीं है। स्थिति यह है कि जब्त की गई दवाओं को रखने के लिए जगह तक नहीं है।

मध्यप्रदेश में किसी भी जिले में औषधि विभाग का स्वयं का कोई ऑफिस नहीं है। जबलपुर में जिला अस्पताल में दिए गए 1 कमरे में विभाग का दफ्तर संचालित हो रहा है। 25 लाख से अधिक आबादी वाले जबलपुर जिले में मात्र तीन औषधि निरीक्षक हैं, जिनके पास स्टाफ के नाम पर केवल एक सैंपल सहायक एवं एक भृत्य है। दफ्तर में डाटा एंट्री ऑपरेटर, क्लर्क और अकाउंटेंट तक नहीं हैं, क्योंकि विभाग में इन पदों को लेकर कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसा नही है कि यह जबलपुर जिले की स्थिति है, बल्कि प्रदेश के सभी जिलों के हालात यही हैं।

बाबूगिरी भी खुद कर रहे औषधि निरीक्षक

औषधि निरीक्षकों को बाबूगिरी भी खुद करनी पड़ती है। जानकारी के अनुसार किसी दवा दुकान के निरीक्षण में एक औषधि निरीक्षक को दो से तीन घंटे तक समय लग सकता है, उसके बाद अगर कोई दवाएं जब्त होती हैं तो एक सैंपल की लिखा-पढ़ी, दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया भी 2 से 3 घंटे की है। दवा दुकान तक पहुंचना, जांच करना, दस्तावेज तैयार करना, सैंपल को जब्त कर ऑफिस लाना और फिर उसे जांच के लिए भेजना, कम्प्यूटर पर एंट्री करना, यह पूरा कार्य औषधि निरीक्षक के जिम्मे है, जबकि जांच के दौरान सैंपल एनालिस्ट हो तो समय बच सकता है। डाटा एंट्री ऑपरेटर और क्लर्क हों ऑफिस के कार्य भी जल्दी हो सकते हैं।

दवाएं रखने रेफ्रिजरेटर तक नहीं

जिला अस्पताल में औषधि विभाग के दफ्तर में दवाओं के सैंपल रखने के लिए रेफ्रिजरेटर तक नहीं है, जबकि विभाग दवा दुकानों में रेफ्रिजरेटर न होने को गंभीर अनियमितता मानता है। बड़ी संख्या में अगर दवाएं जब्त की जाएं, तो उन्हें रखने के लिए स्टोर में जगह नहीं है। हाल में कटारिया फार्मास्युटिकल्स में ऐसी ही एक कार्रवाई हुई थी, जहां से 26 सैंपल लिए गए थे। जानकारी के अनुसार गत वर्ष विभाग द्वारा दफ्तर में कार्य के लिए एक डाटा एंट्री ऑपरेटर भेजा गया था, लेकिन उसे भी बाद में हटा लिया गया।

आधारभूत सुविधाएं भी नहीं

औषधि विभाग मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज है। लगभग सभी जिले कम्प्यूटर, बजट, मानव संसाधन, फर्नीचर आदि के लिए मोहताज हैं। इतनी कम सुविधाओं के साथ दवाओं की जांच एवं नियंत्रण करने की आशा करना बेमानी लगता है। जिले की जिम्मेदारी के बीच विभाग के पास न तो स्वयं का वाहन है और न ही आवश्यकता पर वाहन उपलब्ध होता है।

Created On :   18 Oct 2025 1:11 PM IST

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