जबलपुर: महिलाओं की ड्राइविंग लाइसेंस फीस जीरो, लेकिन खर्च हो जाते हैं ढाई हजार

महिलाओं की ड्राइविंग लाइसेंस फीस जीरो, लेकिन खर्च हो जाते हैं ढाई हजार
  • आरटीओ के सामने ही ऑनलाइन सेंटर वाले जिसकी कोई शासकीय फीस नहीं उसमें भी नहीं बख्श रहे
  • परिवहन विभाग इन सक्रिय दलालों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है
  • पुरुष के ड्राइविंग लाइसेंस को बनवाने में लर्निंग केवल 450 और स्थाई में 1200 रुपए शासकीय शुल्क निर्धारित है

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। महिलाओं को यदि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो तो परिवहन विभाग इसकी कोई फीस नहीं लोता। लर्निंग से लेकर परमानेंट तक बिना सरकारी चार्ज के लाइसेंस को जारी करना होता है लेकिन दुर्भाग्य देखिए, जिस प्रोसेस में सरकार कोई चार्ज नहीं ले रही उसमें दलाल पलीता लगा रहे हैं।

ऑनलाइन आवेदन में चार्ज जीरो दर्शाने के बाद भी इस ऑनलाइन आवेदन को भरने वाले पहली खेप में महिला या उसके परिजन से एक हजार रूप चार्ज करते हैं। इसके बाद जब बारी आती है परमानेंट आवेदन की तो 1500 रुपए तक लिए जाते हैं।

आरटीओ कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में ऐसे ऑनलाइन वाले हैं जो यह चार्ज वसूल रहे हैं, साथ ही बेधड़क परिवहन कार्यालय के अंदर से ये ग्राहक ले जाते हैं और फिर प्रोसेस के नाम पर पैसा लिया जा रहा है। विशेष बात यह है कि परिवहन विभाग इन सक्रिय दलालों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है, जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।

आरटीओ जितेन्द्र रघुवंशी कहते हैं कि जो आवेदक है उसको घर बैठे ही आवेदन कर देना चाहिए। इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि फीस जीरो है। इसके बाद भी कोई परेशानी है तो विभाग में संपर्क किया जा सकता है।

परिसर में जमावड़ा, ग्राहक को फँसाते हैं

कोई व्यक्ति यदि परिवहन संबंधी कार्य के लिए आरटीओ आया है तो उसी से पूछ लिया जाता है। इसके अलावा किसी महिला का भी लाइसेंस बनवाना है तो आदमी सहज रूप में परिवार के सदस्य या पत्नी का लाइसेंस बनवाने की बात कर देता है। इस तरह जल्द काम करवाने के नाम पर फँसे हुए व्यक्ति से 2 से ढाई हजार रुपए तक वसूले जाते हैं।

विभाग की नाकामी

पुरुष के ड्राइविंग लाइसेंस को बनवाने में लर्निंग केवल 450 और स्थाई में 1200 रुपए शासकीय शुल्क निर्धारित है। यह सामान्यत: लोगों को पता है लेकिन महिलाओं का लाइसेंस बिना सरकारी फीस के बनता है, यह अब तक ज्यादा लोगों को पता नहीं चल पाया है।

परिवहन विभाग में जो काम बिना फीस के हो सकता है उसमें भी हजारों रुपए इसलिए वसूले जाते हैं, क्योंकि इसको लेकर जागरूकता नहीं है। साथ ही आदमी कार्यालयीन झमेले में नहीं पड़ना चाहता, इसलिए यह बीच का कमीशन देता चला जा रहा है।

लोगों का कहना है कि जिनको ऐसे दलालों या कमीशन काटने वालों पर कार्रवाई करनी है वे अब भी पुराने ढर्रे पर व्यवस्था को चला रहे हैं।

Created On :   19 April 2024 9:13 AM GMT

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