आईसीएस के छात्रों को कलेक्टर ने किया प्रेरित, कैरियर की दी जानकारी

आईसीएस के छात्रों को कलेक्टर ने किया प्रेरित, कैरियर की दी जानकारी

कलेक्टर अवि प्रसाद ने इंस्टीट्यूट आफ कंपनी सेक्रेट्रीज ऑफ इंडिया के प्रेरक सत्र को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि सफ लता का कोई फ ार्मूला नहीं है हमें वह आदत डालनी चाहिए जो हमें हमारे भविष्य को हमारी पसंद के हिसाब से विकसित करें। छात्रों को बताया कि उनके स्कूलिंग के बाद भविष्य में क्या करना है जैसे सवाल जस के तस थे। अपनी स्कूली शिक्षा से लेकर आईएएस बनने तक के दास्तान को साझा करते हुए कहां की उनके परिवार में उनके पहले किसी भी सदस्य ने डॉक्टर ,इंजीनियर ,वकील एसी, जैसे प्रोफेशन तो दूर की बात है। यहां तक कि किसी ने कभी प्राइवेट नौकरी तक नहीं की थी । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि उन्हें बचपन से ही कामिक्स पढऩे का शौक रहा जिसकी वजह से रीडिंग हैबिट में तब्दील हो गई। उन्होंने बताया कि वह स्वयं अपने घर में अपने दादा जी और दादी जी को रामायण और भगवत गीता पढ़ते देखते थे।

अवसर को तलाशते रहें, पढऩे की बनाएं आदत

कक्षा 12वीं के पश्चात भी यह निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि इतिहास अथवा रसायन शास्त्र में से किस विषय में आगे की पढ़ाई करें। कलेक्टर ने बताया कि परिवार के शुभचिंतकों की सलाह के बाद वह कोटा जाकर 2 वर्षो तक इंजीनियरिंग की कोचिंग करने लगे। उस समय उनके पास स्मार्ट फ ोन नहीं होने के कारण वे काउन्सिलिंग से वंचित रह गए एवं इंजीनियरिंग मे प्रवेश नही ले सके। उन्होनें कंपनी सेकेट्री की पढ़ाई जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय और फ ायनेंस की डिग्री और उसके बाद जोधपुर नेशनल लॉ यूनिर्वर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुुएशन करनें के दौरान भी सीखने की ललक को जारी रखा। अवसरों को तलाशने के सिलसिले को जारी रखा। प्रेरक सत्र में ये मुख्यअतिथि रहे। बचपन की शिक्षा से लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक की जीवंत और प्रेरक वृत्तांत से छात्रों को प्रोत्साहित किया।

पढऩे की आदत अपनाएं

छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अच्छी आदतों को अपनांए और अपनें पसंद के कामों पर ध्यान दें। साहित्य, रंगमंच, संगीत में रुचि के साथ शिक्षा के दौरान लोगों से मिलकर उनके बारे में जानने का प्रयास करते थे। जिससे विभिन्न विचारधाराओं और अलग-अलग दृष्टिकोण से परिचित हो सकें। इसी दौरान उन्हे यह ज्ञात हुआ कि वित्त, सामाजिक बदलाव का महत्वपूर्ण अंग है। उन्होने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी के दौरान ही वे आईएएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित हुए। इन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर से हैं। जहां का परिवेश लगभग ग्रामीण जैसा ही है। पुस्तकें पढऩे की निरंतरता से उच्च शिक्षा और फि र आईएएस अधिकारी बनने के मुकाम तक पहुंचने में मददगार साबित हुई।

Created On :   23 May 2023 9:26 AM GMT

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