नकली नोटों की छपाई के लिए चुराए 1.02 करोड़ के करेंसी पेपर, क्लॉक रूम से बैग बरामद

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नकली नोटों की छपाई के लिए चुराए 1.02 करोड़ के करेंसी पेपर, क्लॉक रूम से बैग बरामद


डिजिटल डेस्क सतना। मैहर रेलवे स्टेशन के क्लाक रूम में तीन महीनों से रखा गया हरे रंग का रहस्यमय बैग  शनिवार को जैसे ही एलपीओ नियमों के तहत अधिकारियों की मौजूदगी में खोला गया, वैसे ही सनसनी खिंच गई। इस बैग के अंदर रखे गए 5 बंडलों में दो हजार और 5 सौ के नोटों के आकार वाले करेंसी पेपर निकले। इन्हें देखते ही रेलवे जीआरपी और आरपीएफ के अधिकारियों की त्यौंरियां तन गईं। यह रहस्यमय बैग 24 जुलाई 2019 को प्रदेश के खंडवा जिला अंतर्गत पुनासा कस्बे के कस्तूरबा वार्ड निवासी का पता लिखाने वाले 66 वर्षीय किसी बालकदास द्वारा रखा गया था। लगभग 3 महीने बीत जाने के बाद भी बालक दास लौटकर नहीं आया। आशंका यह जताई जा रही है कि यह करोड़ों के करेंसी पेपर देवास स्थित बैंक नोट मुद्रणालय से उड़ाए गए हैं। इस बड़ी समूची साजिश में किसी पेशेवर गिरोह का हाथ होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। शनिवार को एलपीओ के तहत मैहर स्टेशन के अमानती सामान गृह में की गई इस कार्रवाई के चश्मदीद आरपीएफ डिप्टी कमांडेंट संतोष लाल हंसदा, रेलवे के डीसीएम देवेश सोनी, एरिया मैनेजर मृत्युंजय कुमार, एसएम एमआर मीणा तथा अन्य अधिकारी रहे। फिलहाल इस सनसनीखेज मामले में निकले करेंसी पेपर तथा बैग सहित जीआरपी कटनी को सौंपकर जांच के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल  रेलवे जीआरपी और आरपीएफ के कोई भी अधिकारी खुली जुबान से यह कहने को तैयार नहीं हैं कि जो कागज मिले हैं वह करेंसी पेपर ही है।
कैसे पहुंचे मैहर तक-
इस सनसनीखेज मामले का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आखिर यह करेंसी पेपर कहां से कैसे उड़ाए गए और मैहर तक कैसे पहुंचे ? जानकार यह मानते हैं कि इस मामले में किसी बड़े पेशेवर नोटों की तस्करी करने वाले गिरोह का हाथ हो सकता है। यदि देवास के करेंसी प्रिटिंग प्रेस से यह नोटों के कागज पार किए गए तो फिर वहां की इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग जाता है। एक अहम बात यह है कि आखिर बालकदास कौन है और उसका मैहर और सतना कनेक्शन क्या है ? यहीं ले आकर उसने बैग को किन परिस्थितियों में मैहर स्टेशन के क्लाक रूम में जमा कराया और लौट कर वापस नहीं आया।
बंडलों के कवर पर भारत सरकार की सील-
इस बैग में से निकले बंडलों के ऊपर भारत सरकार की सील लगी हुई है, जिनमें 5 सौ के नोट के आकार वाले कागजों पर 5 सौ तथा 2 हजार के नोट वाले करेंसी पेपरों के बंडल पर भारत सरकार की पद मुद्रा के बीच में 2 हजार लिखा हुआ है। कुछ सील नीली स्याही से लगाई गई हैं तो कुछ लाल स्याही से बैग में कुल 5 बंडल मिले हैं, जिनमें से प्रत्येक बंडल में 20-20 गड्डी मौजूद हैं। यदि इन पूरे कागजों में नोट छप गए होते तो इनका मूल्य एक करोड़ 2 लाख रुपए होता। लोग बताते हैं कि जिस बालकदास ने यह बैग रखवाया था वह दाढ़ी रखे हुआ था और अमूमन देखने में साधुओं जैसा बेश बनाए था।
सतना से गई नोट गिनने की मशीन-
यह रहस्यमय बैग  खोलने के दो दिन पहले आरपीएफ के सिपाही से रेलवे के कामर्शियल विभाग द्वारा  उक्त क्लाक रूम में रखे बैग का लॉक खोलवाया गया और जैसे ही पीले रंग के बंडल, जिनमें हू-ब-हू नोटों के आकार के कागज रखे हुए थे और ऊपर भारत सरकार की सील के बीच दो हजार और 5 सौ रुपए की मुद्रा लगी हुई थी तो यह देखकर सभी को पसीना आ गया तथा वापस उसी तरह बैग को पुन: रख दिया। इस यकीन पर की इन बंडलों में नोट ही भरे हुए हैं, उन्हें गिनने के लिए सतना से मशीन ले जाई गई थी। लेकिन जब करेंसी की जगह करेंसी पेपर निकले तो फिर उन्हें हाथों से ही गिना गया। इतने संभावित नोट मिलने को लेकर आरपीएफ और जीआरपी के बीच दावेदारी के मुद्दे पर दो दिनों तक गरमा-गरम विवाद भी चलता रहा।
बंडल में मिले करेंसी पेपर का ब्यौरा
1- दो पैकेट, जिन पर 5-5 सौ के मार्क के निशान हैं, प्रत्येक पैकेट में 20 गड्डी और एक गड्डी में 100 अन प्रिंटेड करेंसी पेपर।
2- दो पैकेट, जिनमें 2-2 हजार रुपए के मार्क के निशान हैं, प्रत्येक पैकेट में 20 गड्डी अनप्रिंटेड करेंसी पेपर। प्रत्येक गड्डी में 100-100 अनप्रिंटेड पेपर।
3- एक पैकेट, जिसमें 100 रुपए मार्क के निशान हैं, इस पैकेट में भी 20 गड्डी। प्रत्येक गड्डी में 100-100 अनप्रिंटेड पेपर।
यह रहे मौजूद-
कार्रवाई के दौरान अस्टिेंट कमांडेंट कटनी संतोष लाल हंसदा, डीसीएम जबलपुर देवेश सोनी, एरिया मैनेजर मृत्युंजय  कुमार, स्टेशन प्रबंधक एमआर मीणा, सीसीआई रविकांत कुमार, जीआरपी थाना प्रभारी कटनी द्वारिका प्रसाद चड़ार, मैहर चौकी प्रभारी राकेश पटेल, आरपीएफ पोस्ट प्रभारी मैहर शंकरलाल रावत, स्टेशन कामर्शियल प्रबंधक सतना विनोद कुमार गर्ग, सीबीपीएस मैहर लक्ष्मी प्रसाद व कृष्णा प्रताप सिंह आदि कर्मचारी मौजूद रहे।
इनका कहना है
मैहर रेलवे स्टेशन के क्लॉक रूम में नोटों के साइज के व्हाइट पेपर मिले हैं, जिनकी जांच जीआरपी कटनी द्वारा की जा रही है। मामला संदिग्ध लग रहा है।
एसके जैना कृपाकर, आरपीएफ कमांडेंट जबलपुर

Created On :   20 Oct 2019 1:11 PM GMT

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