वाघाड़ी नदी के पुनर्जीवन से 39 गांवों को मिलेगी संजीवनी, सरकार से मिली मंजूरी

39 villages will flourish with the resurrection of Waghadi river
वाघाड़ी नदी के पुनर्जीवन से 39 गांवों को मिलेगी संजीवनी, सरकार से मिली मंजूरी
वाघाड़ी नदी के पुनर्जीवन से 39 गांवों को मिलेगी संजीवनी, सरकार से मिली मंजूरी

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। वाघाड़ी नदी काे पुनर्जीवित करने पायलट प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.विद्यासागर राव और सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हरी झंडी दे दी है। प्रस्ताव धार्मिक गुरु तथा ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने सौंपा था। इस प्रोजेक्ट से यवतमाल जिले की 2 तहसीलों का कायाकल्प होने वाला है। इसमें यवतमाल और घाटंजी तहसील का समावेश है, जिसमें यवतमाल तहसील के 22 और घाटंजी तहसील के 17 गांव में आकपुरी, वड़गांव जंगल, मुरली, खापरी, कोंडजई, इंझाला, पिंप्री, येरंडगांव, चिंचोली, कोपरी, डोर्ली, पारवा, शरद, वगारा, रामनगर, राजा पेठ, सायखेडा खूर्द को इसका लाभ मिलने वाला है। इन 39 गांवों के किसान इस प्रोजेक्ट से उन्नत होंगे।  

बता दें कि प्रोजेक्ट में कई कार्य एक साथ होने का संजोग बना है। जिसमें सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) के माध्यम से उपयोगी पौधों का रोपण कर उसके जंगल खड़े किए जाने वाले हैं। जिसमें टिंबर प्लांट के साथ फलों के बगीचे, बांस, आयुर्वेदिक हर्बल, सेंद्रीय खेती, सिंचाई के लिए पर्याप्त जलसंग्रह आदि का समावेश होगा। इन 39 गांवों में सभी स्थानों पर पानी की उपलब्धता और वहां की मिट्टी अलग है, जिससे इसे ध्यान में रखकर परीक्षण किया जाएगा।

मंजूर 945 करोड़ की राशि 5 वर्षों में खर्च की जाएगी। इसमें का 35 से 40 फीसदी हिस्सा माइक्रो इरीगेशन पर खर्च होगा, 25 फीसदी राशि मजदूरी पर खर्च होगी, लेकिन यह काम मनरेगा के तहत किया जाएगा। इन 39 गांवों की खेती पूरी तरह सेंद्रीय खेती (आर्गेनिक) की जाएगी। 1 साल में यह प्रक्रिया नहीं होने वाली है, लेकिन कई वर्षों के बाद खेती से विषैली फसल या फल नहीं मिलेंगे। गांवों के लोगों को भी इसमें श्रमदान करना होगा, ताकि उनका भविष्य सुनहरा हो जाए। उनकी पसंद के अनुसार वहां कार्य किया जाएगा।

यवतमाल के गुप्ते नगर में है उद्गम स्थल
लोहारा के रेमंड के पीछे स्थित गुप्ते नगर के पास से वाघाडी नदी यवतमाल शहर के आर्णी रोड से होते हुए जांब, बरबड़ा, निलोणा, चापडोड, घाटंजी के आकपुरी, वडग़ांव जंगल आदि गांव होते हुए घाटंजी शहर से गुजरते हुए वहां 30 किमी दूर संगम सावंगी के पास पैनगंगा नदी में विलीन होती है।
(शैलेश राव, वाघाड़ी नदी सफाई अभियान) 

सिंचाई की समस्या का होगा निवारण 

वाघाडी नदी पुनर्जीवन से इस नदी किनारे बसें गांवों की सिंचाई की समस्या का निवारण हो जाएगा। बाढ़ का पानी इस नदी पर रोककर 12 माह बहने जैसी स्थिति में लाया जाएगा। इस नदी के पुनर्जीवन के लिए इशा फाउंडेशन ने कई वर्ष  का सर्वे कर विस्तृत ब्यौरा जमा कर उसकी रिपोर्ट बनाई है, जिससे कायाकल्प होने वाला है।
(सचिन शेजाल, तहसीलदार यवतमाल)   

Created On :   11 Aug 2018 12:47 PM GMT

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