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Yavatmal News: 12 साल बाद भी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन नहीं बना, केदारनाथ में हेलिकॉप्टर क्रैश में वणी के 3 की भी मौत

- केदारनाथ में हेलिकॉप्टर क्रैश में वणी के 3 समेत सभी 7 की मौत
- हेलिकॉप्टर गौरीकुंड से 5 किमी ऊपर गौरीमाई खर्क बुग्याल क्षेत्र में पेड़ से टकराया
- फिर आग लगी, जिसमें शव बुरी तरह जल गए
Yavatmal/ Mumbai News. मृतकों के परिजन हादसे की खबर लगते ही वणी से केदारघाटी पहुंच रहे हैं। जिसके बाद मृतकों के अंतिमसंस्कार को लेकर फैसला किया जाएगा। उत्तराखंड की केदारघाटी में रविवार सुबह हेलिकॉप्टर हादसे में यवतमाल के वणी की 23 महीने की काशी और उसके पिता राजकुमार और मां श्रद्धा जयस्वाल समेत सभी 7 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हादसे पर शोक जताते हुए कहा कि राज्य सरकार दु:ख की घड़ी में पीड़ित परिवार के साथ है।
ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन नहीं बना
जून 2013 की भयंकर आपदा के बाद केदार घाटी में स्वचालित मौसम स्टेशन बनाने की मांग उठी। वैज्ञानिक चिंतन हुए। लेकिन, यह स्टेशन आज तक नहीं बन पाया। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम तीन तरफा ऊंची पहाड़ियों से घिरा है। यहां तक पहुंचने के लिए पैदल हो चाहे हवाई मार्ग, संकरी घाटी से होकर गुजरना पड़ता है। वर्तमान में मंदाकिनी नदी के दाईं तरफ से पैदल मार्ग के सहारे यात्री केदारनाथ पहुंचते हैं। यह पूरा रास्ता भूस्खलन की चपेट में है। वहीं, हवाई मार्ग वी-आकार की संकरी घाटी जैसा है, जिससे हेलिकॉप्टर केदारघाटी से धाम के लिए उड़ान भरते हैं और वापस लौटते हैं।
इन हालातों में यहां बरसात व शीतकाल के मौसम में कब इस संकरे घाट में घना कोहरा छा जाए, कुछ पता नहीं चलता। इसलिए ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और अलग डॉप्लर लगाने की मांग की गई थी, लेकिन अब तक नहीं लग पाया।
उड़ानों की कोई एसओपी नहीं, अब बनेगी; केदारघाटी में उड़ रहे हेलिकॉप्टर्स के लिए कोई एसओपी नहीं थी, लेकिन हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने इसे बनाने के निर्देश दिए हैं। जो हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, वो ज्यादा पुराना नहीं था। इसकी मेंटेनेंस जांच भी हुई थी।उड़ानों की कोई एसओपी नहीं, अब बनेगी; केदारघाटी में उड़ रहे हेलिकॉप्टर्स के लिए कोई एसओपी नहीं थी, लेकिन हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने इसे बनाने के निर्देश दिए हैं। जो हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, वो ज्यादा पुराना नहीं था। इसकी मेंटेनेंस जांच भी हुई थी।
आपको बतादें गुप्तकाशी से 5:11 बजे हेलिकॉप्टर केदारधाम के लिए उड़ा। 5.21 बजे वापस गुप्तकाशी की उड़ान भरी। 5:24 बजे आखिरी बार वैली पॉइंटर पर दिखा। इसी दौरान घना कोहरा छाया और हेलिकॉप्टर इसमें समा गया। करीब पौन घंटे तक किसी को भी नहीं पता था हेलिकॉप्टर कहां गया। सुबह 6:13 बजे एक अन्य हेली कंपनी ने सूचना दी कि आर्यन हेली एविएशन कंपनी का हेलिकॉप्टर गुप्तकाशी नहीं लौटा है। इसके बाद आसपास के लोगों से संपर्क किया गया। करीब 6:27 बजे नेपाली मूल की एक महिला ने बताया कि ऊपरी क्षेत्र में धुआं उठ रहा है। तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। क्रैश साइट गौरीकुंड से 5 किमी ऊपर पहाड़ों पर थी, तो जवानों को पहुंचने में करीब एक घंटा लग गया। तब तक यात्रियों के शव बुरी तरह जल चुके थे। डीजीसीए ने दो दिन के लिए हेली सेवा रोक दी है। यहां 1 घंटे में प्रति हेलिकॉप्टर 3-4 फेरे तय थे। 9 कंपनियां दिनभर में 142-165 फेरे कर रही थीं। वहीं, एफआईआर में आर्यन कंपनी के मैनेजर विकास तोमर और एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक को जिम्मेदार ठहराया गया है।
कंपनी को सुबह 6 बजे से उड़ान की अनुमति थी, पर पहले ही सेवा शुरू कर दी। खराब मौसम में भी उड़ान भरकर नियमों की अनदेखी की गई।
दूसरे हेलिकॉप्टर में होने से बचे महाजन दंपति
राजकुमार जयस्वाल अपने साढ़ू प्रवीण महाजन और साली पूजा महाजन के साथ दर्शन करने केदारनाथ जा रहे थे। जयस्वाल दंपति एक हेलिकॉप्टर में तथा महाजन दंपति दूसरे हेलिकॉप्टर में सवार थे। जयस्वाल दंपति का हेलिकॉप्टर नहीं पहुंचने पर महाजन ने वणी में राजकुमार जयस्वाल के चाचा को फोन लगाया और शिकायत के लिए एक मोबाइल नंबर दिया। इस पर शिकायत करने के बाद इस हेलिकॉप्टर की खोजबीन शुरू हुई। सुबह 8.30 बजे हेलिकॉप्टर क्रैश होने की खबर वणी पहुंची तो मातम छा गया।
राजकुमार और श्रद्धा जयस्वाल ने एक वर्ष पहले पंडित प्रदीप मिश्रा की महाशिवपुराण कथा का आयोजन वणी में किया था। इस परिवार में दो पुत्र आरव (11) और विवान (7) के साथ मां, चार बहनंे और चाचा का परिवार शामिल हैं। घटना के बाद जयस्वाल परिवार केदारनाथ की ओर रवाना हो गया है।
सीएम धामी ने जांच के आदेश दिए
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सीएम आवास पर हुई बैठक में कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा- चार धाम के लिए सोमवार तक हेली सेवा पूर्ण रूप से बंद रहेगी। सभी हेली ऑपरेटरों एवं पायलटों के उच्च हिमालय क्षेत्रों में उड़ान अनुभवों की जांच होगी। राज्य में अब हेली उड़ानों के बेहतर समन्वय और सुरक्षित संचालन के लिए देहरादून में एक कॉमन ‘कमांड एवं कोऑर्डिनेशन सेंटर’ की स्थापना की जाएगी, जिसमें डीजीसीए, आपदा विभाग, सिविल एविएशन, यूकाडा, हेली ऑपरेटर कंपनी अफसरों की तैनाती की जाएगी।
Created On :   16 Jun 2025 6:12 PM IST