देश भक्ति की 4 मशालें चारों दिशाओं में, एक शहर से भी गुजरेगी 

4 torches of patriotism will pass through a city in all four directions
देश भक्ति की 4 मशालें चारों दिशाओं में, एक शहर से भी गुजरेगी 
1971 के उन शहीदों के गाँव, घर तक पहुँचीं जिन्होंने महान बलिदान दिया, एमबीए हैडक्वार्टर ने शुरू की तैयारियाँ देश भक्ति की 4 मशालें चारों दिशाओं में, एक शहर से भी गुजरेगी 

डिजिटल डेस्क जबलपुर। 16 दिसंबर, यह वही तारीख है जिस दिन भारतीय वीर जवानों के आगे पाक सेना ने घुटने टेक दिए थे। यह वही दिन है जब दिल्ली में अमर जवान ज्योति से चार मशालें देश की चारों दिशाओं में रवाना की गईं। उस युद्ध में शहीद होने वाले जवानों के गाँव-गाँव और घर-घर यह मशाल पहुँची। फख्र है कि इन्हीं में से एक मशाल जबलपुर भी पहुँच रही है। इस शहर में रहने वाले शहीदों के परिजनों के सम्मान में। मध्य भारत एरिया आर्मी हैडक्वार्टर वर्ष 1971 के युद्ध में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों की याद में इस अवसर को अंतिम रूप देने में जुटा है। मशाल किस दिन जबलपुर पहुँचेगी, यह अभी सुनिश्चित नहीं है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि थोड़े समय के भीतर ही यह अवसर आने वाला है।  इस मौके को यादगार बनाने के लिए आर्मी की तकरीबन हर एक यूनिट ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
एक साल बाद वापस वहीं पर
ठीक एक साल बाद चारों दिशाओं में देश के अंतिम बिन्दु तक पहुँचकर चारों मशालें वहीं लौटेंगी, जहाँ से इनकी शुरुआत हुई थी। जानकारों का कहना है कि वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर को दिल्ली में अमर जवान ज्योति से चारों मशालों को रवाना किया था। 
जबलपुर में एक दर्जन परिवार
जबलपुर और पड़ोसी जिलों में तकरीबन एक दर्जन शहीदों के परिवार निवासरत हैं। जानकारों का कहना है कि मशाल के रूट में जबलपुर को इसलिए शामिल किया गया है। दक्षिण भारत  के लिए रवाना की गई मशाल गोवा से लौटते हुए यहाँ पहुँच रही है। 
पाक जनरल जबलपुर में था कैद 
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर किया था। 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना इसके लिए विशेष आयोजन कर रही है। पाकिस्तान को इस लड़ाई में ऐसी मात मिली थी कि जनरल नियाजी की अगुवाई में ढाका स्टेडियम में करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पड़ गए थे। उस दौरान पाक लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी को युद्ध बंदी के रूप में जबलपुर लाया गया था। उसे सीतापहाड़ी में सेना की निगरानी में रखा गया। हालाँकि शिमला समझौते के तहत सभी 93 हजार सैनिकों के साथ उसे भी रिहा कर दिया गया था। 
 

Created On :   27 Sept 2021 2:31 PM IST

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