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अतिरिक्त कार्य के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची आंगनवाड़ी सुपरवाइजर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी सुपरवाइजर को उनके कार्यक्षेत्र के अतिरिक्त कार्य दिए जाने के मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने खास तौर से राज्य सरकार से सुपरवाइजर की नियुक्ति के विषय में जानकारी मंगाई है। हाईकोर्ट में महाराष्ट्र आंगवाडी सहायक प्रकल्प अधिकारी एवं पर्यवेक्षक संघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि आंगवाडी सुपरवाइजर को मुख्य रुप से एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) से जुड़े कार्य को देखने के लिए नियुक्त किया गया है। सरकार की ओर से समय-समय पर परिपत्र जारी कर कहा गया है कि आंगवाड़ी सुपरवाइजर को कोई दूसरा कार्य नहीं सौपा जा सकता है। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने कुपोषण से जुड़े मुद्दे के निराकरण के लिए आईसीडीएस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में आंगनवाडी से जुड़े लोगों को महत्वपूर्ण माना है। फिर भी पहले ही अत्याधिक काम होने के बावजूद आंगनवाड़ी सुपरवाइजर को ग्राम पंचायत से जुड़े चुनाव की मतदाता सूची तैयार करने, वरिष्ठ नागरिकों की कुशलक्षेम जानने, स्वच्छ भारत अभियान के तहत बननेवाले शौचालय के निरीक्षण सहित अन्य कार्य सौपे जा रहे हैं। जबकि पहले से ही सुपरवाइजर के काफी पद रिक्त हैं। यह कार्य न किए जाने पर संबंधित जिला परिषद की ओर से आंगनवाड़ी सुपरवाइजरों को कारण बताओं नोटिस जारी किया जाता है। वहीं सरकारी वकील रीना सांलुखे ने कहा कि आंगनवाडी सुपरवाईजर पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी हैं। महाराष्ट्र सिविल सर्विस नियमावली आंगनवाड़ी सुपरवाइजर पर लागू होती है। सरकारी वकील ने कहा कि यह याचिका हाईकोर्ट में सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने सुझाव स्वरुप कहा कि इस याचिका को महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण के का सामने दायर किया जाना चाहिए।
मामले से जुड़ों पक्षों को सुनने व आंगवानीड सुपरवाइजर के नियुक्ति पक्षों को देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया आंगनवाड़ी सुपरवाइजर संबंधित जिला परिषद के कर्मचारी हैं और उनका कार्य महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति अधिनियम 1961 के दायरे में आता है। इसलिए जब तक आंगनवाडी सुपरवाइजर की नियुक्ति को लेकर और स्पष्टीकरण हमारे सामने नहीं आ जाता है तब तक हम याचिका को सुनने से इनकार नहीं कर सकते हैं। इस दौरान खंडपीठ ने इस मामले में आंगनवाडी सुपरवाइजर को दी गई अंतरिम राहत को बरकरार रखा है। जबकि सरकारी वकील से सुपरवाइजर की नियुक्ति को लेकर जानकारी देने को कहा है। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी 2022 को रखी है।
Created On :   31 Jan 2022 7:37 PM IST