बेंबला प्रोजेक्ट की कछुआ चाल, बरसात में ही मिलेगा पानी

benbla project is running slowly, water is available on through rain
बेंबला प्रोजेक्ट की कछुआ चाल, बरसात में ही मिलेगा पानी
बेंबला प्रोजेक्ट की कछुआ चाल, बरसात में ही मिलेगा पानी

डिजिटल डेस्क, यवतमाल । जलसंकट से राहत दिलाने सरकार योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करती है लेकिन सरकारी विभाग की उदासीनता के चलते लोगों तक गर्मी में भी पानी नहीं पहुंच पाता। ऐसा ही कुछ बेंबला प्रोजेक्ट के साथ दिखाई दे रहा है। दरअसल बेंबला प्रोजेक्ट का पानी सरकारी जी आर के अनुसार  30 अप्रैल तक आना था, वहीं पालकमंत्री मदन येरावार ने 10 मई के भीतर जलापूर्ति करने का वादा किया गया था। लेकिन बेंबला का  निरीक्षण करने के बाद पता चला कि, आगामी 1 माह तक किसी भी सूरत में बेंबला का पानी यवतमाल नहीं आ सकता, जिससे आगामी आनेवाले 30  दिन तक जनता को जलसंकट से जूझना पड़ेगा। 

2.25 कि.मी का कार्य है बाकी
प्रशासन के अनुसार 2.25  किलो मीटर की पाइप-लाइन बिछाना बाकी है।  हकीकत में यह दूरी 3 किलो मीटर  से अधिक है। रानी अमरावती के पास सेंट्रिंग डालनेवाले इसी योजना के मजदूरों को पैसे नहीं मिलने के कारण उन्होंने काम बंद कर दिया था। इस  कारण उन्हेंं पैसे नहीं मिले।  किराणा दुकान से वे अनाज उधार ले रहे थे, उसने भी माल देना बंद कर दिया।  वहीं कुछ मजदूर उनके गांव वापस चले गए। पाइप लेकर ट्रक कई स्थानों पर खड़े है। लेकिन वहां पर पाइप डालने के लिए अब तक कोई खुदाई नहीं की गई है। यहीं नहीं पानी यवतमाल तक लाने के लिए  500  हॉर्स पॉवर के मोटरपंप भी फिट होना बाकी है। टाकली के पास 2 पंप लगाने है, लेकिन वहां पर पंप लगाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

इस कंपनी को दे रखा है ठेका
ठेका आडके कपंनी को दिया गया था। उसने यह ठेका सब ठेकेदार दाभाडे और गवई को दे रखा है। आडके की ओर से 1 इंजीनियर गाडे वहां तैनात है। 10  लोगों को यहां काम के लिए शेगांव से लाया गया था। लेकिन उनका पेमेंट नहीं करने के कारण उन्हें बुधवार को भोजन नहीं मिल पाया था। गाडे से जब इस बारें में पूछा तो उन्होंने वहां उपस्थित 3 मजदूरों को 1000-1000 रुपए दिए जिसके बाद उन लोगों की खाने की व्यवस्था हुई। यह पूरी पाइप-लाइन जिस दिन बन जाएगी। इसके बाद टेस्टिंग होगा। टेस्टिंग में पूरी लीकेज आदि देखा जाएगा। अभी यहां से लाइन खींचने का काम बाकी है। टाकली के पास लाइन खींचने के लिए पोल खड़े किए गए हैं। लेकिन  पंप फीट करना बाकी है। पंप लाकर पड़े है। यहीं नहीं तो टाकली टेकड़ी पर से भी पाइप-लाइन बिछाना बाकी है।

पालकमंत्री ने किया था शुभारंभ
मजीप्रा के सेवानिवृत्त इंजीनियर भोयर को पता है कि, पुरानी पाइप-लाइन कहां से डाली गई है। उसे बिना नुकसान किए गए यह नहीं पाइप-लाइन डाली जा रही है। इस काम का शुभारंभ पालकमंत्री येरावार द्वारा किया गया था। उन्होंने आश्वस्त किया गया था कि, युद्धस्तर पर इस योजना का काम शुरू है। लेकिन यहां पर काम करने वाले मजदूरों के ही पैसे नहीं मिलने के कारण वे भी काम नहीं कर रहे है,  जिससे बारिश के पहले किसी भी सूरत में यवतमालवासियों को पानी मिलने की उम्मीद नहीं है। यवतमाल से लेकर निलोना तक बड़े-बड़े पाइप ट्रकों में लादे हैं खडे है। मगर उनकी पाईप लाईन बिछाने के लिए जो व्यवस्था पहले की जानी चाहिए थी नहीं हो पाई है।
 
कब आएगा पानी पता नहीं 
इस लाइन में सिर्फ टेक्नीकल बाते बताने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। बाकी काम दिए गए ठेकेदार को निपटाना है। निलोना व चापडोह का मृत जलाशय भी अंतिम सांसें गिन रहा है। इस पानी के बल पर पूरे शहर वासियों को मई माह में २ बार पानी देने की जिम्मेदारी है, मगर इतना पानी नहीं बच पाया है। इस कारण पानी को लेकर अभी से विवाद शुरू हो गए हैं। जिन क्षेत्रों में कुएं हैं वहां का पार्षद सेना का है तो भाजपा के टैंकरों को पानी नहीं मिलता। इसके विपरीत भाजपा के क्षेत्र में कुआ है तो सेना के टैंकरों को पानी नहीं मिलता इस बारे में जिलाधिकारी, एसडीओ, सीओ के पास कई शिकायतें आई है। फिर भी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। (अजय बेले, मजीप्रा कार्यकारी अभियंता, यवतमाल)
@बीरेंद्र चौबेेे

Created On :   4 May 2018 9:03 AM GMT

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