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कोरोना कवच की जगह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में कर दिया क्लेम और आज तक नहीं किया भुगतान
डिजिटल डेस्क जबलपुर । स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी चला रहे बीमितों को एजेंटों व बीमा कंपनियों के लोगों ने लुभावने सपने दिखाए। लुभावने सपनों के साथ ही अनेक तरह के वादे व दावे भी किए गए। लाभ को देखते हुए निरंतर पॉलिसी संचालित कर रहे लोगों ने कोरोना कवच व कोरोना रक्षक पॉलिसी ले ली। दोनों ही पॉलिसी में कोरोना संक्रमण के शिकार होने पर पॉलिसी धारक को पूरा इलाज कराने का दावा किया गया था, लेकिन बीमा कंपनियों के दावों की पोल उस वक्त खुल गई जब बीमित कोरोना संक्रमण के शिकार हुए। किसी तरह कोरोना का इलाज कराने निजी व शासकीय अस्पताल का सहारा पीडि़तों ने लिया और जब बीमा कंपनी से कैशलेस की उम्मीद की गई तो नहीं मिला। यहाँ तक की सारी रिपोट्र््स के बाद बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम के लिए सारे बिल भी सबमिट किए गए तो उनमें भी कई तरह की क्वेरी निकालकर बीमा क्लेम निरस्त कर दिया गया। पीडि़तों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ लालच देकर पॉलिसी बेचती हैं और जब बीमित को जरूरत पड़ती है तो उनके साथ चालबाजी कर क्लेम सेटल नहीं करती हैं।
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी पर पीडि़त ने लगाए आरोप जिस पॉलिसी का नंबर दिया उसमें नहीं किया क्लेम सबमिट..?
सराफा निवासी सौरभ सराफ ने बताया कि स्टार हेल्थ से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी संचालित करते आ रहे हैं। स्टार हेल्थ की कोरोना कवच व रक्षक नाम से जब पॉलिसी आई तो कंपनी के लोगों ने संपर्क किया। उससे अनेक प्रकार से लाभ होने का दावा किया गया। सौरभ का कहना था कि वे लालच में आ गए थे और उन्होंने पॉलिसी ले ली। उसके बाद वे 21 फरवरी 2021 को कोरोना से संक्रमित हो गए। संक्रमण के कारण वे कोठारी अस्पताल में भर्ती हो गए थे। वहाँ उनका लगातार इलाज चला और उन्होंने वहाँ पर कोरोना कवच पॉलिसी से कैशलेस करने के लिए कहा। अस्पताल प्रबंधन को बीमा कंपनी ने कैशलेस करने से इनकार कर दिया। उसके बाद बीमित ने पूरे इलाज का भुगतान अपने पास से किया। बीमा कंपनी में कोरोना कवच पॉलिसी के नंबर से क्लेम किया, तो बीमा कंपनी ने स्वास्थ्य बीमा की पॉलिसी को क्लेम में परिवर्तित कर दिया और आज तक भुगतान नहीं किया। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी से सही जवाब भी उन्हें नहीं मिल रहा है।
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ने क्लेम कर दिया रिजेक्ट
संक्रमण की शिकार 67 वर्षीय कुसुम लता अग्रवाल को बेटे संजय ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। संजय ने बताया कि उन्होंने पूरे परिवार का हेल्थ इंश्योरेंस करा रखा है। माँ को जब अस्पताल में भर्ती कराते हुए कैशलेस का कार्ड दिया था तो बीमा कंपनी ने कैशलेस करने से मना कर दिया। माँ के इलाज के दौरान उन्होंने साढ़े तीन लाख रुपए खर्च किए। उसके बाद रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी में सारे बिल सबमिट किए थे। बीमा कंपनी ने अनेक प्रकार की क्वेरी की। उसके बाद एक टीम भी जाँच करने के लिए आई थी और जाँच करने के बाद कहा कि जल्द ही क्लेम सेटल कर दिया जाएगा। टोल-फ्री नंबर के साथ ही बीमा कंपनी के अधिकारियों से बात करते रहे पर किसी भी तरह का बीमा क्लेम उनके द्वारा नहीं दिया गया और अचानक क्लेम रिजेक्ट कर दिया, जबकि बीमा कंपनी ने जो रिपोर्ट माँगी थी वे सारी रिपोट्र््स हमारे द्वारा बीमा कंपनी को सबमिट की गई थी। पीडि़त का कहना है कि बीमा कंपनी हमारे साथ धोखा कर रही है। बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क करने प्रयास किया गया पर नहीं हो सका।
Created On :   2 Jun 2021 2:30 PM IST