फाइलों में दफन सीएम सरोवर टेंडर घोटाला - मंत्री ने विस में दिया था आश्वासन

CM Sarovar tender scam buried in files - Minister gave assurance in Vis
फाइलों में दफन सीएम सरोवर टेंडर घोटाला - मंत्री ने विस में दिया था आश्वासन
फाइलों में दफन सीएम सरोवर टेंडर घोटाला - मंत्री ने विस में दिया था आश्वासन

डिजिटल डेस्क कटनी । प्रदेश में हुए ई-टेंडर घोटाला की तरह कटनी जिले में मुख्यमंत्री सरोवर के टेंडर घोटाला फाइलों में कैद होकर रह गया है। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के आश्वासन के चार माह बाद भी जांच नहीं हुई, जबकि मंत्री ने एक माह के भीतर मुख्य अभियंता से जांच कराने का आश्वासन दिया था। मुड़वारा विधायक संदीप जायसवाल ने सीएम सरोवर के टेंडर में फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र का मामला तारांकित प्रश्न क्रमांक 274, दिनांक 8/7/2019 में उठाया था। इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने एक माह के भीतर मुख्य अभियंता से जांच कराने की बात कही थी। सूत्रों के अनुसार मंत्री के आश्वासन के बाद भी अब तक जांच प्रतिवेदन विधानसभा तक नहीं पहुंचा है। विधानसभा के शीत सत्र में यह मामला एक बार फिर सामने आएगा। विधानसभा सचिवालय ने आरईएस के अधिकारियों से भी जांच को लेकर पत्राचार किया है।
छह करोड़ के सात सरोवर
जिले के पांच करोड़ 97 ला
ख रुपये की लागत से स्वीकृत सात मुख्यमंत्री सरोवरों के लिए अगस्त 2018 एवं जनवरी 2019 में बुलाए गए टेंडर में अयोग्य ठेकेदार की निविदा स्वीकृत करने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री सरोवर में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया गया है। इस मामले में मुड़वारा विधायक ने विधानसभा में मामला उठाते हुए कहा कि संबंधित अधिकारियों ने बालाजी कृपा कंपनी के दस्तावेजों का सत्यापन किए बिना ही टेंडर स्वीकृत कर दिए। अनुभव प्रमाण पत्र की वैधानिकता पर उठाए सवाल विधायक ने विधानसभा में उठाए मामले में कहा कि श्री बालाजी कृपा कंपनी को जनपद पंचायत बड़वारा के सीईओ द्वारा जारी किए गए अनुभव प्रमाण पत्र में लेख किया है कि बालाजी कृपा कंपनी के संचालक बचनाराम विश्नोई पिता बीरबल राम विश्नोई ग्राम पोस्ट बम्हौरी तहसील बरही, जिला कटनी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन मिशन बड़वारा के तहत ब्लाक समन्वयक द्वारा प्रस्तुत जानकारी अनुसार ग्राम पंचायतों तालाब निर्माण एवं खेत तालाब के कार्य संपादित कराए जाने में सहयोग किया। विधायक ने सवाल उठाया कि जनपद सीईओ तकनीकी अधिकारी नहीं है, जबकि निविदा शर्त के अनुसार तकनीकी अधिकारी का अनुभव प्रमाण पत्र आवश्यक है। जैसा कि प्रमाण पत्र की इबारत से ही स्पष्ट होता है कि बालाजी कृपा कंपनी के संचालक ने कार्य नहीं किया वरन सहयोग किया है। जबकि निविदा में भाग लेने वाली कंपनी को 50 लाख तक के कार्य कराने का अनुभव होना आवश्यक है।
इनका कहना है
सीएम सरोवर की जांच के संबंध में विधानसभा से जानकारी मांगी गई थी, यह मामला वरिष्ठ कार्यालय से संंबंधित है और उसी स्तर पर जांच होना है।
-एम.एस.ठाकुर, कार्यपालन यंत्री आरईएस
 

Created On :   2 Dec 2019 2:31 PM IST

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