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कोर्ट का समय खराब करने पर याचिकाकर्ता पर लगी 20 हजार की कॉस्ट

देर से मुकदमा दायर कर अर्जेंट सुनवाई की मांग पर हाईकोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना वायरस की दहशत के चलते मुकदमों की सुनवाई को लेकर जारी की गई गाईडलाईन का उल्लंघन करके कोर्ट का समय खराब करने वाले एक पक्षकार पर हाईकोर्ट ने 20 हजार की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि अभी सिर्फ अर्जेन्ट मामलों पर सुनवाई हो रही है, लेकिन देर से दायर मुकदमें को अर्जेन्ट बताते हुए याचिकाकर्ता के पैरोकार देर तक अपनी दलीलें रखते हैं। इस रवैये की निंदा करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता पर कॉस्ट लगाते हुए उक्त रकम दो सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति में देने के आदेश दिए। अदालत ने अंतरिम राहत देने से इंकार करके वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
कटंगी निवासी मो. यासीन की ओर से दायर इस याचिका में वक्फ दरगाह हजरत जिन्दा शाह वली-ए-कामिल कटंगी की प्रबंध कमेटी के 25 जून 19 के गठन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने मामले पर अंतरिम राहत दिए जाने की प्रार्थना करते हुए अर्जेन्ट सुनवाई की एक अर्जी दायर की थी। याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि आवेदक ने स्वयं ही 9 माह बाद यह मामला दायर किया है और देरी का कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया। हाल ही में कोराना वायरस को लेकर चीफ जस्टिस ने सिर्फ अर्जेंट मामलों की सुनवाई के निर्देश है, ऐसे में आवेदक का रवैया निंदनीय है। इस मत के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता पर 20 हजार रुपए की कॉस्ट लगाने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से पैनल अधिवक्ता शारदा दुबे, मप्र वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता मुकेश कुमार अग्रवाल, व प्रबंध कमेटी की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हदत्त सिंह ने पक्ष रखा।
Created On :   20 March 2020 1:47 PM IST