नॉन मेस फीस के चलते बिना खाए पैसे भरने को मजबूर हो रहे विद्यार्थी

Due to non mess fees students are forced to pay money without eating
नॉन मेस फीस के चलते बिना खाए पैसे भरने को मजबूर हो रहे विद्यार्थी
आईआईटी बांबे नॉन मेस फीस के चलते बिना खाए पैसे भरने को मजबूर हो रहे विद्यार्थी

डिजिटल डेस्क, मुंबई. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बांबे के छात्र संगठन आंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल ने भोजनालय (मेस) के लिए ली जाने वाली फीस को ऐच्छिक करने की मांग की है। आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर संगठन का दावा है कि सिर्फ 40 फीसदी छात्र ही मेस में खाना खाते हैं। ऐसे में बचे हुए 60 फीसदी छात्रों का पैसा सीधे ठेकेदार की जेब में जाता है। छात्र संगठन ने डीन समेत सभी संबंधित अधिकारियों को पत्र लिख कर कहा है कि कैटरर्स को पहले से ही पता है कि सिर्फ 40 फीसदी छात्र ही खाना खाते हैं। इसलिए वे भोजन कम ही पकाते हैं। संगठन के मुताबिक भोजन का विकल्प चुनने वाले छात्र हर सेमेस्टर मेस के लिए 27 हजार रुपए भुगतान करते हैं। जो विद्यार्थी मेस का भोजन नहीं करना चाहते हैं उन्हें मेस फीस का 28 फीसदी यानी 7,560 रुपए भुगतान करना पड़ता है। इसलिए प्रबंधन को नॉन मेस चार्ज हटाना चाहिए। 
 

Created On :   12 April 2023 4:26 PM GMT

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