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सरकारी दावे सिफर, बढ़े टीबी के मरीज - ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की संख्या में हुआ इजाफा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । केन्द्र सरकार की तरफ से टीबी को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे प्रयास सिफर साबित हो रहे हैं। गोसलपुर क्षेत्र में लगातार टीबी मरीज मिल रहे हैं। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा मारीज वर्ष 2019 में मिले हैं। टीबी मरीजों की साल दर साल स्थिति एक जैसी बनी हुई है, जबकि केन्द्र सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा है।
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 में गोसलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत में टीबी के 98 मरीज मिले थे। इसके बाद 2016 में मरीजों की संख्या 102 हो गई। वर्ष 2017 में 87 मरीज मिले। वहीं 2018 में मरीजों की संख्या 84 रही। इसके बाद वर्ष 2019 में 111 मरीज सामने आए। इन आंकड़ों से साफ जाहिर हो रहा है कि तमाम प्रयास और कवायद के बाद भी टीबी रोग पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है।
102 दो गांव में मिले मरीज
गोसलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सिहोरा और पाटन विधानसभा के करीब 102 गांव शामिल किए गए हैं। यहां रोजाना इलाज करने के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती है। सामान्य दिनों में ओपीडी 150 होती है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के दौरान ओपीडी घटी है। टीबी मरीजों की संख्या लगातार बढऩे से स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग का दावा के घर घर जाकर टीबी के मरीजों को चिन्हित किया जा रहा है।
खनन उद्योग से बढ़े टीबी मरीज
स्वास्थ्य विभाग के जानकारों का कहना है कि गोसलपुर क्षेत्र में दर्जनों खदानें हैं, जिनमें लगातार खनन हो रहा है। खनन के दौरान निकलने वाली डस्ट व वाहनों की आवाजाही से उडऩे वाली धूल से टीबी का संक्रमण लगातार फैल रहा है। इससे इस क्षेत्र में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बीएमओ डॉ दीपक गायकवाड़ ने बताया कि यह बीमारी ज्यादातर उड़ती धूल के इंफेक्शन से भी होती है। नशा करने वाले, जिनके शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें यह बीमारी अपनी गिरफ्त में लेती है। यह एक घातक एवं संक्रामक बीमारी है।
महिलाएं हो जाती हैं बांझ
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि टीबी माइक्रो बैक्टीरिया की वजह से होती है। इसका बैक्टीरिया फेफड़ों पर हमला करता है एवं खांसी हवा के जरिए ब्रेन, यूट्रस, लीवर, किडनी, गला को पकड़ता है। इस बीमारी की गिरफ्त में आने वाली महिलाएं बांझपन की शिकार तक हो जाती हैं। यह बीमारी हड्डी को गला देती है। इस बीमारी से पागलपन के दौरे पडऩे लगते हैं, पेट में पानी भर जाता है।
Created On :   4 Aug 2020 3:09 PM IST