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क्या पहले भी हाईकोर्ट में दायर हुआ है ईरानी डेरा से संबंधित मामला?
डिजिटल डेस्क जबलपुर । ईरानी डेरा की बसाहट वाली जमीन भोपाल कलेक्टर द्वारा रेलवे को आवंटित किए जाने के मामले पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया है। चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस संजय यादव की युगलपीठ ने जानना चाहा है कि क्या यह मामला पहले भी दायर हो चुका है? इस सवाल के साथ युगलपीठ ने सुनवाई 14 नवम्बर तक के लिए मुल्तवी कर दी है।
1960 में भोपाल में शिफ्ट हुए
यह जनहित याचिका अज़ाखाना ए अबुतब्लिब दरशगाह ए हुसैनी व मस्जिद के अध्यक्ष लियाकत अली की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग बेहतर रोजगार की तलाश में सीहोर जिले से वर्ष 1960 में भोपाल में शिफ्ट हुए। ये लोग मौजूदा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नं. 6 के पास स्थित एक निजी जमीन पर रहने लगे। समय के साथ उन लोगों ने वहां पर निर्माण कार्य कर लिए और अब इस इलाके को ईरानी डेरा के नाम से जाना जाता है। आवेदक का कहना है कि ये लोग प्लेटफार्म नं. 6 के आसपास छोटे-छोटे रोजगार के जरिए अपनी आजीविका कमा रहे हैं। आवेदक का आरोप है कि ईरानी डेरा की बसाहट वाली जमीन को भोपाल कलेक्टर द्वारा रेलवे को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया और ऐसा करने से पहले डेरा में रहने वाले लोगों के पुनर्वास का कोई इंतजाम नहीं किया गया। इस कार्रवाई को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए यह जनहित याचिका दायर की गई। आवेदक ने हाईकोर्ट से राहत चाही है कि रेलवे को कोई दूसरी जमीन देने के निर्देश अनावेदकों को दिए जाएं।
मामले पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मधुर पाबरा और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल करके सुनवाई 14 नवम्बर तक के लिए मुल्तवी कर दी।
Created On :   9 Nov 2019 1:13 PM IST