बायोडायवर्सिटी हैरीटेज पातालकोट में अमेरिकन एजेंसी की मदद से होगी हाईटेक मॉनीटरिंग

Hi-Tech monitoring will be done with the help of American agency in Biodiversity Heritage Patalkot
बायोडायवर्सिटी हैरीटेज पातालकोट में अमेरिकन एजेंसी की मदद से होगी हाईटेक मॉनीटरिंग
बायोडायवर्सिटी हैरीटेज पातालकोट में अमेरिकन एजेंसी की मदद से होगी हाईटेक मॉनीटरिंग


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। वर्ष 2019 में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट (जैव विविधता विरासत स्थल) घोषित किए जा चुके पातालकोट की जैव विविधता, स्थानीय संस्कृति, वन संपदा और जड़ी बूटियों के संरक्षण और अत्यधिक दोहन को ध्यान में रखते हुए एक नए प्रयोग की शुरुआत होने जा रही है। जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) के जरिए इस पूरे इलाके को डिजिटाइज कर जिओ-रेफेरेंसिंग की मदद से हाईटेक मॉनिटरिंग की तैयारी है। छिंदवाड़ा में पले बड़े और फिलहाल अहमदाबाद में कार्यरत हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट व वैज्ञानिक डॉ दीपक आचार्य अपनी एक्सपर्ट टीम के साथ पातालकोट में उक्त अनूठे हाईटेक मॉनिटरिंग एक्सपेरिमेंट को अंजाम देने जा रहे हैं। इस कार्य में अमेरिका के रेड इंडियन फॉरेस्ट में ड्रोन के जरिए मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी तुशेवस एरियल की मदद ली जा रही है। पिछले डेढ़ दशक से वन संपदा का बेजा दोहन देखते हुए अब अंतर्राष्ट्रीय प्लानिंग एजेंसी की मदद से इस क्षेत्र के संरक्षण के लिए मैदान में उतरे डॉ दीपक आचार्य पिछले 15 दिनों से पातालकोट में सर्वेक्षण के जरिए यहां वन और संपदा संरक्षण के लिए तमाम संभावनाओं को खोज रहे हैं।
ऐसे होगी हाइटेक मॉनीटरिंग:
डॉ आचार्य के मुताबिक अनआर्म वेहिकल (ड्रोन) की मदद से पूरे इलाके में हो रहे वनसंपदा की निगरानी और उनके बेजा दोहन को रोकने में मदद मिलेगी। जीपीएस और सेटेलाइट इमेजिंग जैसी तकनीक की मदद से पूरे इलाके की जिओ टैगिंग की जाएगी। ऐसा होने से जंगल कटाई, दोहन और जंगल में होने वाली गैर जरूरी हलचल को सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए कैद किया जा सकेगा। ड्रोन के ऑपेरशन के लिए औपचारिक सरकारी अनुमति भी ली जाएगी।
साल के अंत तक सामने आएंगे परिणाम:
पातालकोट व आसपास का करीब 4060 हेक्टेयर का जंगल इस हाईटेक मॉनिटरिंग का हिस्सा होगा। इस पूरी कवायद के परिणाम साल के अंत तक स्पष्ट तौर से देखे जा सकेंगे। डॉ आचार्य इस पूरी मॉनिटरिंग से प्राप्त डेटा को मध्यप्रदेश सरकार को सौंप देंगे ताकि सरकारी तंत्र को भी मदद मिल सके। प्रोजेक्ट क्राउड फंडिंग के जरिए किया जाना है, हालांकि आर्थिक मदद के लिए सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों से चर्चा हो रही है।
डिजिटल लाइब्रेरी भी... दुनिया जानेगी पातालकोट की औषधियां:
डॉ दीपक आचार्य ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से उन्होंने पातालकोट औषधीय पौधों की डिजिटल लाइब्रेरी, पारंपरिक हर्बल ज्ञान का डेटाबैंक बनाने का कार्य किया है।  इसी साल पातालकोट की जड़ी बूटियों और वानस्पतिक जानकारियोंं को ओपन एण्ड फ्री एक्सेस पोर्टल के जरिए दुनिया के सामने लाने की तैयारी की जा चुकी है। करीब 350 से ज्यादा वनस्पतियों, स्थानीय आदिवासी भुमकाओं और पडि़हारों के हर्बल ज्ञान को भी इस डिजिटल लाइब्रेरी में फीचर किया जाएगा। इस डेटाबेस में रेट (रेयर, एनडेंजर्ड और थ्रेटेंड) पादप प्रजातियों को विशेष तौर से समाहित किया जाएगा ताकि विलुप्ति की ओर अग्रसर पादप प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन पर पुरजोर काम हो सके।
पातालकोट जैव विविधता विरासत स्थल पूर्व से घोषित:
प्रदेश सरकार नेे 2 नवंबर 2019 को  जिले के प्राकृतिक स्थल पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया था। वन विभाग ने जैव विविधता अधिनियम, 2002 (2003 का 18) की धारा 37 की उपधारा (1) के साथ पठित मध्यप्रदेश जैव विविधता नियम 2004 के नियम 22 के उपनियम (1) के अंतर्गत जैव विविधता विरासत स्थल (बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट) घोषित किया है।
प्रोजेक्ट से क्या फायदे होंगे:
पर्यावरण और जैव विविधता के नजरिए से इसका पूरा फायदा न सिर्फ पातालकोट को बल्कि सम्पूर्ण जिले और प्रदेश को मिलेगा। गैर कानूनी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। स्थानीय वन संपदा को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सकेगा। यहां के विलुप्त औषधीय पौधों को सहेजने के साथ ही यहां के पारंपरिक हर्बल ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा।

 

Created On :   9 Jan 2021 5:57 PM GMT

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