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हाईकोर्ट के फैसले से बाध्य होगा प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाई ओवर का टेण्डर

मदन महल से दमोह नाका के बीच बनने वाले फ्लाईओवर के ठेके से बाहर हुई कंपनी की याचिका पर हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाई ओवर का ठेका विवादों में आ गया है। तकनीकी आधार पर इस ठेके की प्रक्रिया से बाहर हुई उत्तर प्रदेश की एक कंपनी की याचिका पर चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने टेण्डर को इस याचिका पर होने वाले फैसले के अधीन रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य सरकार को यह बताने कहा है कि किन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता को प्रक्रिया से बाहर किया गया? अगली सुनवाई 17 जून को होगी।
लखनऊ (उप्र) की यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि जबलपुर के दमोहनाका से मदन महल तक प्रस्तावित फ्लाई ओवर बनाने के लिए बुलाई गई निविदा में उसने भी टेण्डर भरा था। 11 मार्च को याचिकाकर्ता कंपनी को एक आपराधिक मुकदमें की जानकारी छिपाने के आरोप में इस टेण्डर की प्रक्रिया से अयोग्य ठहरा दिया गया था।
याचिकाकर्ता कंपनी का दावा है कि जिस मुकदमें को आधार बनाकर उसे टेण्डर से अयोग्य घोषित किया गया, उस मुकदमें पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। ऐसे में निविदा जमा करते समय कंपनी के खिलाफ कोई प्रकरण लंबित नहीं था। ऐसे में 6 मार्च को उसे अयोग्य घोषित किया जाना न्याय संगत नहीं है। कंपनी का यह भी दावा है कि फ्लाई ओवर के निर्माण का ठेका हैदराबाद की एनसीसी कंपनी को दे दिया गया, जिसकी राशि याचिकाकर्ता से 85 करोड़ रुपए अधिक है। इस टेण्डर की वजह से सरकार पर 85 करोड़ रुपए के भुगतान का अनावश्यक भार पड़ेगा। याचिका में मप्र सरकार के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव, चीफ इंजीनियर, हैदराबाद की एनसीसी लिमिटेड और मुम्बई की एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, शासकीय अधिवक्ता ए राजेश्वर राव और एनसीसी कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन
सिंह व अधिवक्ता शेखर शर्मा ने पक्ष रखा।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।