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नर्मदा गौ-कुंभ :उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, भक्तों ने यज्ञ शालाओं की परिक्रमा कर कमाया पुण्य लाभ

डिजिटल डेस्क जबलपुर । नर्मदा गौ-कुंभ के सातवें दिन रविवार को पुण्य लाभ पाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्त सुबह से ही कुंभ स्थल पर जारी धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। लोगों द्वारा यज्ञ शालाओं की परिक्रमा की गई। इसके साथ ही भक्तों ने परिसर में धूनी जमाए साधु-संतों का आशीर्वाद भी लिया। रविवार होने के कारण सुबह से जन सैलाब उमड़ पड़ा। शाम होते-होते ऐसी स्थिति निर्मित हो गई कि रामपुर चौक पर ही वाहनों को रोकना पड़ा। इसके बावजूद लोगों की भक्ति व श्रद्धा कम नहीं हुई। श्रद्धालुजन रामपुर से ही कुंभ स्थल के लिए पैदल यात्रा कर पहुँचते रहे। देर रात तक बड़ी तादाद में लोग धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए। कुंभ स्थल पर आयोजित कृषि और ऋषि सम्मेलन के दौरान प्रमुख रूप से रानीखेत से आए संत मौनी महाराज, महंत कौशल किशोर दास महाराज अयोध्या स्वामी कालिकानंद महाराज, स्वामी अवधेशदास, स्वामी सरयूदास, जगद््गुरु राघवदेवाचार्य, स्वामी मुकुंददास, साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, स्वामी राधे चैतन्य, बृजेश दीक्षित, स्वामी सीताराम दास आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. स्वामी नरसिंहदास महाराज ने किया। वहीं रात में वित्त मंत्री तरूण भनोत ने कुंभ स्थल पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अिधकारियों को निर्देश दिए।
आर्थिक समृद्धि के लिए गौ-माता का संरक्षण करें - केएन गोविंदाचार्य
गौ-ऋषि सम्मेलन के मुख्य वक्ता केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि समाज की आर्थिक समृद्धि के लिए समाज के सभी वर्ग गौ-माता को संरक्षित करें। जबलपुर के सेठ गोविन्ददास ने सांसद के नाते सबसे पहले गौ संरक्षण को पुरजोर रूप से उठाया था। वर्ष 2016 की तरह सभी को गौ संरक्षण के लिए आंदोलन करने की आवश्यकता है। संविधान में गौ वंश की रक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। भारतीय खेतीहर मजदूरों का खान-पान विदेशी राष्ट्रों से बेहतर है। भारत पर दैवीय त्रिकोण का आशीर्वाद है, तीन दैवियाँ, धरती, घर की माता व गौ माता हैं। सूर्य पुत्री हैं गौ माता। गौमाता का गोबर पन्द्रह दिन में खाद में बदल जाता है। भारत और इंग्लैंड की खेती और खाद्य पदार्थों का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि भारतीय भोजन में सभी पोषक तत्वों की उपलब्धता है। सभ्यता संस्कृति में भारत की सर्वोच्चता है। भारत में क्षमता है पूरे विश्व को राह दिखाने की। तरह-तरह के वायरस, असंतुलन की वजहों से हैं। प्रकृति के पंच महाभूतों को उनके स्वभाव के साथ सहेजने की आवश्यकता है। दुनिया के पास एक ही आश्रय है वेद लक्षणा गौ माता। सभी पंच भूतों का समन्वय बनाने में गौ माता का सबसे बड़ा योगदान है।
Created On :   2 March 2020 2:11 PM IST