त्र्यंबकेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन के खिलाफ याचिका

Petition in high court against vip darshan in trimbakeshwar temple
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन के खिलाफ याचिका
हाईकोर्ट त्र्यंबकेश्वर मंदिर में वीआईपी दर्शन के खिलाफ याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि क्या ऐसा कोई प्रावधान है जो अतिरिक्त शुल्क लेकर महाराष्ट्र के मशहूर मंदिर त्र्यंबकेश्वर में वीआईपी ( विशिष्ट व्यक्ति) दर्शन की अनुमति देने से रोकता है। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसजी दिगे  की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। इस मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता ललिता शिंदे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में  त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट की ओर से दर्शन के लिए वीआईपी प्रवेश को लेकर तय किए गए दो सौ रुपए शुल्क से जुड़े फैसले को चुनौती दी गई है। 

खंडपीठ के सामने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील रामेश्वर गीते ने कहा कि वीआईपी प्रवेश के लिए तय की गई राशि मंदिर में दर्शन के लिए आनेवाले श्रद्धालूओं व लोगों के बीच भेदभाव करती है। उन्होंने दावा किया कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक प्राचीन संरक्षित स्मारक है। इसके प्रबंधन का जिम्मा भारत पुरातत्व  सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के पास है। इसलिए मंदिर का ट्रस्ट वीआईपी दर्शन को लेकर कोई शुल्क नहीं लगा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में नौ लोगों की कमेटी गठित की है जिसे मंदिर की देखरेख की जवाबदारी सौपी गई है। ऐसे में वीआईपी दर्शन के लिए नई कमेटी द्वारा शुल्क तय करना उचित नहीं है।

याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दर्शन में प्राथमिकता चाहता है तो इसके लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जा सकता है। यदि आपको(याचिकाकर्ता) लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता है तो आप हमे ऐसा कानूनी प्रावधान दिखाएइ जो वीआई दर्शन के लिए शुल्क लेकर अनुमति देने से रोकता हो। खंडपीठ ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की दलीलों से संतुष्ट नहीं है फिर भी हम उन्हें जवाब देने के लिए 30 नवंबर तक का समय देते है। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो बेहतर तरीके से समाजसेवा कर सकता है। 

याचिका में दावा किया गया है कि मंदिर की नई कमेटी ने वीआईपी दर्शन को लेकर दो सौ रुपए का शुल्क तय किया है। इस बारे में भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण(एएसआई) को इस बारे में कई शिकायते भेजी गई है। साल 2015 में एएसआई ने वीआईपी दर्शन के लिए तय किए गए शुल्क को अवैध माना है और स्थानिय जिलाधिकारी को इस बारे में जरुरी निर्देश जारी करने को कहा है पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 
 

Created On :   14 Nov 2022 8:54 PM IST

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