बॉम्बे हाई कोर्ट: दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के शेयरों की सुलझाई गुत्थी, एक मामले में वरिष्ठ नागरिक को लगा जुर्माना

दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा के शेयरों की सुलझाई गुत्थी, एक मामले में वरिष्ठ नागरिक को लगा जुर्माना
  • दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत में उल्लेख नहीं किए गए शेयरों की सुलझाई गुत्थी
  • दो धर्मार्थ संगठनों रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को समान रूप से शेयरों को वितरित करने का दिया निर्देश
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक को लगाया एक लाख का जुर्माना

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत में उल्लेख नहीं किए गए शेयरों की गुत्थी को सुलझा दी है। अदालत ने उन शेयरों को दो धर्मार्थ संगठनों रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को समान रूप से वितरित करने का सुझाव दिया है। यह फैसला प्रोबेट कार्यवाही में दिया गया था, जिसका उद्देश्य दिवंगत उद्योगपति की वसीयत और उसके कोडिसिल (परिशिष्ट) की कानूनी वैधता निर्धारित करना था। न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने प्रोबेट आवेदन पर अपने फैसले में कहा कि दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत में उल्लेख नहीं किए गए शेयरों को टाटा द्वारा स्थापित दो धर्मार्थ संगठनों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाना चाहिए। मृतक के सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध शेयर जो वसीयत में कहीं और विशेष रूप से शामिल नहीं हैं, उनकी संपत्ति के शेष और अवशेष का हिस्सा हैं। रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को समान रूप से समान शेयरों में वसीयत किए जाते हैं। यह कार्यवाही तब शुरू हुई, जब वसीयत के निष्पादकों ने न्यायालय से यह निर्देश मांगा कि 23 फरवरी 2022 की टाटा की वसीयत के कुछ प्रावधानों की व्याख्या कैसे की जाए? बाद में इसे चार कोडिसिल द्वारा संशोधित किया गया। पीठ के समक्ष मुख्य प्रश्न यह था कि उन शेयरों का क्या किया जाए, जिनका नाम मूल वसीयत में नहीं था, लेकिन बाद में 22 दिसंबर 2023 को किए गए संशोधन में शामिल किया गया। 22 दिसंबर 2023 को एक कोडिसिल के माध्यम से पेश की गई वसीयत में अद्यतन खंड में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रतन टाटा की संपत्ति का शेष और अवशेष रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को समान शेयरों में मिलेगा। प्रमुख भारतीय उद्योगपति और परोपकारी व्यक्ति रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। वे प्रमुख भारतीय उद्योगपति और परोपकारी व्यक्ति थे। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ और उन्होंने 1991 से 2012 तक टाटा समूह और टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और फिर अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक को लगाया एक लाख का जुर्माना

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक वरिष्ठ नागरिक को अपने मकान मालिक और बिल्डर के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। अदालत ने माना कि इस तरह की याचिका मकान मालिक और बिल्डर से जबरन वसूली का एक रूप है। अदालत ने जुर्माना की राशि सशस्त्र भारतीय सेना में युद्ध में शहीद हुए जवानों के कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया। याचिका में अदालत से मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा बिल्डर को दिए गई अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने अजीत धारिया की याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के लिए यह मुकदमा लॉटरी टिकट खरीदने जैसा है, जो कि अगर किस्मत ने साथ दिया, तो अप्रत्याशित लाभ (भले ही नाजायज हो) हो सकता है, लेकिन मुकदमेबाजी के खर्च से ज्यादा खर्च नहीं होगा। यह याचिका और कुछ नहीं, बल्कि मकान मालिक या बिल्डर से जबरन वसूली का एक रूप है। जैसा कि इस न्यायालय ने खिमजीभाई हरजीवनभाई पटाडिया बनाम मुंबई महानगरपालिका के मामले में देखा है। पीठ ने यह भी कहा कि किरायेदार मकान मालिक को शर्तें नहीं बता सकता है। हालांकि मकान मालिक याचिकाकर्ता के साथ अन्य किरायेदारों के समान शर्तों और नियमों पर समझौता करने के लिए बाध्य है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो किरायेदार के पास अधिकार क्षेत्र वाले सिविल कोर्ट के समक्ष जाने का उपाय है, क्योंकि यह एक सिविल विवाद है, जिस पर सुनवाई होनी चाहिए। भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हमारे अधिकार क्षेत्र में इस मामले का फैसला नहीं किया जा सकता है। पीठ ने याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया और उसे सशस्त्र भारतीय सेना में युद्ध में शहीद हुए जवानों के कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया। याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत बिल्डर के बीएमसी द्वारा नई इमारत के लिए जारी किए अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) को रद्द करने और मकान मालिक द्वारा उसके लिए आरक्षित फ्लैट को अपने कब्जे में लेकर और उसे उसे सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

Created On :   23 Jun 2025 8:32 PM IST

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